मुंबई। वायु प्रदूषण(Air Pollution)से जुड़ी बीमारियों का खतरा दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा है। भारत समेत पूरी दुनिया में पिछले कुछ वर्षों में फेफड़ों के कैंसर के मामलों में तेजी से वृद्धि हुई है। चिंताजनक बात यह है कि 30 से 40 वर्ष के आयु वर्ग में भी यह बीमारी तेजी से फैल रही है, जिसमें धूम्रपान न करने वाले लोग भी शामिल हैं।
विशेषज्ञों के अनुसार, वर्तमान में 10 में से 5 मामले ऐसे हैं, जिनमें मरीजों का धूम्रपान का इतिहास नहीं है। इसका मुख्य कारण वायु प्रदूषण, इनडोर वायु गुणवत्ता में गिरावट और कार्यस्थल पर प्रदूषण का बढ़ना बताया गया है।
विशेषज्ञों की राय: मुंबई के पल्मोनोलॉजिस्ट डॉ. समीर गार्डे (Dr. Sameer Garde, Pulmonologist)के अनुसार, “मुंबई और दिल्ली जैसे महानगरों में वायु प्रदूषण फेफड़ों के कैंसर का मुख्य कारण बन रहा है। पहले 10 में से 8 मरीज धूम्रपान करते थे, जबकि अब 10 में से 5 मरीज धूम्रपान न करने वाले होते हैं। इसके अलावा, इनडोर प्रदूषण के स्रोत जैसे अगरबत्ती, सुगंधित मोमबत्तियां, और मच्छर भगाने वाली दवाएं भी स्थिति को गंभीर बना रही हैं।”
संबंधित आंकड़े: भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद(Indian Council of Medical Research)के अनुसार, 2025 तक फेफड़ों के कैंसर के मामलों में सात गुना वृद्धि होने की संभावना है। मधुमेह, मोटापा और गतिहीन जीवनशैली जैसे चयापचय विकार भी अप्रत्यक्ष रूप से इस बीमारी के मामलों में वृद्धि कर सकते हैं।
रोकथाम और उपाय: फेफड़ों के कैंसर से बचाव के लिए समय रहते निदान और इलाज जरूरी है। इसके साथ ही वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए सख्त कदम उठाने की आवश्यकता है। आम जनता को स्वच्छ हवा और स्वस्थ जीवनशैली अपनाने के लिए जागरूक करना भी महत्वपूर्ण है।