मुंबई। बढ़ते शहरीकरण और बढ़ती जनसंख्या (Growing urbanisation and increasing population) के कारण देश के बड़े शहरों में यातायात की समस्या लगातार गंभीर होती जा रही है। विशेष रूप से मुंबई, जो विश्व के सबसे भीड़भाड़ वाले शहरों में छठे स्थान पर है, यातायात जाम की समस्या से जूझ रही है। ‘टॉम टॉम’ ट्रैफिक इंडेक्स (TomTom’ Traffic Index) 2024 के अनुसार, मुंबई में औसतन 1 किलोमीटर की यात्रा के लिए 3 मिनट 24 सेकंड का समय लग रहा है, जिससे यह शहर दुनिया के सबसे धीमे ट्रैफिक वाले शहरों में शामिल है।
ट्रैफिक का कारण और परिणाम:
मुंबई में रोजाना लगभग 700 नए वाहन पंजीकृत (Vehicle Registered) हो रहे हैं, और कुल वाहन पंजीकरण (vehicle registration) की संख्या 3.7 लाख तक पहुँच चुकी है। इसके अलावा, मुंबई के उपनगरों जैसे ठाणे, मीरा-भायंदर, नवी मुंबई और भिवंडी से लाखों वाहन रोजाना मुंबई में प्रवेश करते हैं, जिससे स्थिति और बिगड़ रही है। यातायात जाम के कारण नागरिकों को मानसिक और शारीरिक तनाव का सामना करना पड़ता है, और इससे देश की समग्र उत्पादकता में भी गिरावट आ रही है।
भारत के अन्य शहरों में भी स्थिति गंभीर:
भारत के अन्य प्रमुख शहरों, जैसे बेंगलुरू, पुणे, और कोलकाता में भी यातायात जाम की समस्या गंभीर हो गई है। बेंगलुरू में 10 किलोमीटर की यात्रा में औसतन 34 मिनट 10 सेकंड का समय लग रहा है, जबकि कोलकाता में यह समय 34 मिनट 33 सेकंड है। इन शहरों में ट्रैफिक की स्थिति अब और भी खराब हो गई है।
समाधान की आवश्यकता:
विशेषज्ञों का कहना है कि ट्रैफिक जाम की समस्या को सुलझाने के लिए बेहतर सार्वजनिक परिवहन प्रणाली, स्मार्ट ट्रैफिक सिग्नल, और सड़क नेटवर्क के सुधार की आवश्यकता है। साथ ही, पुराने ट्रैफिक प्रबंधन सिस्टम को अपडेट करने और अतिक्रमण की समस्या को नियंत्रित करने की दिशा में ठोस कदम उठाने की जरूरत है।
स्मार्ट ट्रैफिक सॉल्यूशंस की अहमियत:
ट्रैफिक जाम को कम करने के लिए स्मार्ट ट्रैफिक सिग्नल और बेहतर सड़क प्रबंधन की आवश्यकता पर जोर दिया जा रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि इन उपायों से शहरों में यात्रा समय में कमी आ सकती है और नागरिकों का मानसिक तनाव भी घट सकता है।