हेल्दी और मोटे होने में फर्क है। लोग मोटापे को ही हेल्दी होना मान लेते हैं, यही उनकी सबसे बड़ी भूल है। जिस मोटापे को वह हेल्दी मान रहे हैं, असल में वह कई बीमारियों की जड़ है। डॉक्टर बताते हैं कि मोटापा अपने आप में रोग नहीं, लेकिन कई रोगों की जड़ है। हैरानी की बात ये है कि मोटापा अब पूरे देश की बीमारी बनता जा रहा है, जिसका असर बच्चों, महिलाओं से लेकर बड़े बुजुर्गों पर पड़ रहा है।अधिक मोटापे के चलते लोग कैंसर, बीपी, डायबिटीज जैसी कई बीमारियों के शिकार हो रहे हैं।
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मोटापे से परेशान लोगों के लिए बैरिएट्रिक सर्जरी वरदान साबित हो रहा है। यह सर्जरी इस तरह कमाल किए हैं कि लोग मोटापे के जंजाल से मुक्ति पा रहे हैं। ऐसे ही एक मामले में ३८ साल के व्यक्ति की बैरिएट्रिक सर्जरी कराया। इसके एक महीने बाद ही उसका वजन ४१ किलो कम हो गया। बता दें कि सर्जरी से पहले व्यक्ति का वजन २६२ किलो था।
२२१ किलो हुआ व्यक्ति का वजन
कांदिवली के नमाहा अस्पताल में बैरेटरिक और लेप्रोस्कोपिक सर्जन डॉ. अपर्णा गोविल भास्कर के नेतृत्व में अन्य डॉक्टरो की टीम के २६२ किलो वजनी कल्पेश लिंबाचिया नामक व्यक्ति की सर्जरी की हैं। मोटापे का शिकार मरीज टाइप २ मधुमेह, उच्च रक्तचाप, गंभीर ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया (ओएसए), सांस फुलना और वैरिकोज व्हेन से भी पीड़ित था। सर्जरी के बाद चार हफ्तों में उनका वजन ४१ किलो कम होकर अब २२१ किलो आ पहुंचा है। डॉक्टरों की टीम ने बताया कि व्यक्ति का वजन कोरोना महामारी के दौरान और बढ़ गया था, जिस कारण दैनिक गतिविधियों के लिए उन्हें परिवार पर निर्भर होना पड़ा। साथ ही स्वास्थ्य कारणों के चलते नौकरी छोड़नी पड़ी।
मोटापे का ७० फीसदी कारण अनुवांशिक
डॉ. अपर्णा ने कहा कि ७० फीसदी मोटापे का कारण आनुवंशिकी हो सकता है। यह अनिवार्य रूप से न्यूरो-हार्मोनल डिसरेगुलेशन के कारण होने वाली बीमारी है। अतिरिक्त वजन को कम करने के लिए बैरिएट्रिक सर्जरी एक उत्तम विकल्प है। लेकिन वजन कम होने के बाद उन्हे नियंत्रण में रखना काफी जरूरी हैं।