जो इंडिया / नवी मुंबई: सीमित संसाधनों और संघर्षों भरे जीवन से निकलकर एक सफल उद्यमी बनने वाली वैषाली वसंत पाटिल आज महिलाओं के लिए प्रेरणा स्रोत बन चुकी हैं। अनुसूचित जाति (SC) समुदाय से आने वाली वैषाली ने “वैषाली गृह उद्योग” के नाम से अपना व्यवसाय खड़ा किया है, जो आज 40 से अधिक प्रकार के खाद्य उत्पाद बनाकर 250 महिलाओं को रोज़गार दे रहा है।
शुरुआती जीवन और संघर्ष
वर्धा के दयाल नगर में जन्मी वैषाली को पढ़ाई बीच में ही छोड़नी पड़ी और कम उम्र में विवाह हो गया। विवाह के कुछ वर्षों बाद ही पति गंभीर रूप से बीमार पड़ गए और नौकरी छूट गई। ऐसे में परिवार की ज़िम्मेदारी वैषाली के कंधों पर आ गई।
एक छोटे से प्रयास से शुरुआत
घर पर पापड़ और अचार बेचने से शुरू हुआ सफर 2007 में “वैषाली गृह उद्योग” की स्थापना तक पहुंचा। शुरुआती निवेश के तौर पर उन्होंने अपनी बचत से 1 लाख रुपये लगाए। लेकिन व्यवसाय बढ़ाने के लिए उन्हें बैंक लोन की ज़रूरत थी—न तो कागज़ी कार्यवाही की जानकारी थी, न ही गारंटर।
BYST की मदद से मिली उड़ान
इसी दौरान उन्हें बजाज
ऑटो-BYST युवा उद्यमिता विकास कार्यक्रम (YEDP) के बारे में पता चला। BYST की मदद से उन्हें व्यवसायिक योजना तैयार करने में सहायता मिली और बैंक ऑफ महाराष्ट्र से मात्र पांच दिनों में 4 लाख रुपये का लोन मंज़ूर हुआ।
व्यवसाय का विस्तार और मार्गदर्शन
इस लोन से उन्होंने सेवई, चिप्स, पास्ता आदि बनाने की मशीनें खरीदीं और 36 उत्पादों की रेंज तैयार की। उनके पहले मेंटर स्व. विद्या खरे ने उन्हें गुणवत्ता सुधारने की प्रेरणा दी, जबकि वर्तमान में डॉ. सोम पंड्या (खादी ग्रामोद्योग) उन्हें व्यवसाय प्रबंधन में मार्गदर्शन दे रहे हैं।
कोविड संकट में भी कायम रहा हौसला
कोविड काल में जहां कई छोटे व्यवसाय बंद हो गए, वहीं वैषाली ने अपने कर्मचारियों को पूरा वेतन दिया, ऑनलाइन बिक्री शुरू की और महिला स्वयं सहायता समूहों को भी जोड़ा। उन्होंने एक स्थानीय अस्पताल को वॉटर प्यूरीफाय,कूलर भी दान किया।

