जो इंडिया /मुंबई: मुंबई हाईकोर्ट की नागपुर पीठ (Nagpur Bench of Bombay High Court
यह टिप्पणी न्यायमूर्ति उर्मिला जोशी-फलके (Justice Urmila Joshi-Phalke) ने उस मामले की सुनवाई करते हुए दी जिसमें एक व्यक्ति को 17 वर्षीय नाबालिग लड़की का पीछा करने और यौन उत्पीड़न के आरोप में दोषी ठहराया गया था।
मामले की पृष्ठभूमि:
यह घटना 23 अक्टूबर 2015 की है, जब महाराष्ट्र के नागपुर जिले के खापा गांव में एक स्कूल से लौट रही किशोरी और उसके भाई को रास्ते में एक युवक ने रोक लिया। मोटरसाइकिल से पहुंचे युवक ने लड़की का हाथ पकड़कर उसका नाम पूछा और कहा, “आई लव यू”। यह बात लड़की ने अपने पिता को बताई, जिन्होंने तुरंत पुलिस में एफआईआर दर्ज करवाई।
प्रारंभिक कार्रवाई और ट्रायल कोर्ट का फैसला:
जांच के बाद युवक पर भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 354A (यौन उत्पीड़न), 354D (पीछा करना), और पॉक्सो एक्ट की धारा 8 के तहत मामला दर्ज किया गया।
2017 में नागपुर के अतिरिक्त सत्र न्यायालय ने आरोपी को दोषी मानते हुए तीन साल की कठोर कैद और ₹5,000 का जुर्माना सुनाया था।
हाईकोर्ट में सुनवाई और सजा रद्द:
आरोपी ने इस फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी। सुनवाई में अदालत ने पाया कि:
आरोपी ने लड़की को केवल एक बार “आई लव यू” कहा, कोई अश्लील इशारा या बार-बार पीछा नहीं किया गया।
न तो यौन इरादे से छूने की घटना घटी, न कोई शारीरिक अशिष्टता दिखाई गई।
लड़की की गवाही से भी यह नहीं स्पष्ट हुआ कि आरोपी का उद्देश्य यौन संपर्क स्थापित करना था।
कोर्ट की टिप्पणी:
“सिर्फ ‘आई लव यू’ कहना कानून की दृष्टि से यौन इरादा नहीं दर्शाता। जब तक ऐसा कोई व्यवहार न हो जो यौन इच्छा या उत्पीड़न को इंगित करे, तब तक इसे यौन अपराध की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता।”
फैसले का सामाजिक महत्व:
यह फैसला उन मामलों में मिसाल बनेगा जहां केवल शब्दों के आधार पर यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए जाते हैं। हालांकि, कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि यदि “आई लव यू” के साथ कोई अवांछनीय, अशोभनीय या यौन इशारा किया जाए, तो मामला गंभीर हो सकता है।