मुंबई:-गंदगी और मनमानी के लिए विवादों में रही पे एंड यूज पब्लिक टॉयलेट की योजना को पूर्व मनपा आयुक्त अजोय मेहता ने बंद कर दिया था (Public toilet)। अजोय मेहता के अनुसार इस योजना में सिर्फ वसूली और जनता को सुविधा के नाम पर कुछ नहीं मिलता था इस लिए इसे बंद कर दिया गया था। लेकिन अब प्रशासक इकबाल सिंह चहल इस योजना को फिर से लाने की तैयारी में हैं। हालांकि मनपा अधिकारियों की माने तो इस बार इसमें काफी बदलाव कर के शुरू किया जा रहा है। नए नियमावली में जनता की सुविधा का विशेष ध्यान रख गया है।
वर्ष 2018 में तत्कालीन आयुक्त अजोय मेहता ने गोरेगांव में अचानक पे एंड यूज पब्लिक टॉयलेट का दौरा किया। जहां उन्होंने बेहद गंदगी, सुविधाओं का अभाव देखा, इतना ही नहीं उन्होंने पाया था कि यहां जनता से अतिरिक्त वसूली हो रही थी। शौचालय का रख रखाव भी ठीक से नहीं हो रहा था। साथ ही जनता को यहां जबरन भेजे जाने के लिए मजबूर किया जा रहा था। जिसे लेकर उन्होंने काफी नाराजगी व्यक्त करते हुए इस इज्ना पर ही विराम लग दिया था। पे-एंड-यूज पब्लिक टॉयलेट मॉडल को उन्होंने रोक दिया था।
एक अधिकारी ने बताया कि वर्ष 2018 मे पे एंड यूज पब्लिक टॉयलेट के संचालक न केवल शौचालयों का रखरखाव करने में विफल हो रहे थे। बल्कि अधिक शुल्क वसूल रहे थे और जनता को शौचालयों तक पहुंचने से रोक रहे थे। इसलिए पे-एंड-यूज मॉडल को खत्म करने के बाद से अब तक ऐसे शौचालयों के नए निर्माण की अनुमति नहीं दी गई थी। लेकिन अब हमें सार्वजनिक शौचालयों की संख्या बढ़ाने के लिए इस योजना को अमल में लाना ही पड़ेगा। एक नई नीति तैयार करने की जा रही है।
खत्म करने के बाद, बीएमसी ने अब इस विचार पर फिर से विचार करने और इसे बेहतर तरीके से लागू करने का फैसला किया है। इसी मंशा के साथ, नागरिक निकाय एक ऐसी नीति तैयार करने की प्रक्रिया में है, जो आधुनिक सुविधाओं के साथ सार्वजनिक शौचालयों का विचार करती है। नागरिक सूत्रों ने कहा कि 15 दिनों में तैयार होने की उम्मीद है, दस्तावेज़ में शुल्क को विनियमित करने और अनुबंध की शर्तों का उल्लंघन होने पर समझौतों को समाप्त करने के प्रावधान भी होंगे।
फिलहाल 850 शौचालय अब भी पे एंड यूज मॉडल पर चल रहे हैं
इन नए पे एंड यूज टॉयलेट को विशेष रूप से उच्च भीड़ वाले क्षेत्रों में शुरू किया जाएगा। 24 घंटे खुला रखने और विशेष रूप से विकलांग लोगों के लिए रैंप की सुविधा है। शहर भर में लगभग 8,500 सार्वजनिक शौचालय हैं जो बीएमसी और धर्मार्थ संगठनों द्वारा चलाए जा रहे हैं। इनमें से करीब 850 शौचालय पे एंड यूज मॉडल पर चल रहे हैं। वे एक बार के उपयोग के लिए 2 और 5 रुपये के बीच शुल्क लेते हैं।
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