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pericardial effusion: OMG मरीज के हृदय से निकाला गया 400 मिलीलीटर कोलेस्ट्रॉल

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मुंबई में रहनेवाले ५५ वर्षीय व्यक्ति श्रीकांत पवार एक मोटर वाहन कंपनी में काम करते हैं। डायबिटीज (diabetis) की वजह से मरीज को सांस लेने में तकलीफ हो रही थी। इतना ही नहीं उसके सीने में भी दर्द होने लगा था। ऐसे में उसे तत्काल अस्पताल (hospital) में भर्ती कराया गया। चिकित्सकीय जाचं के बाद पता चला कि मरीज पेरिकार्डियल इफ्यूजन (pericardial effusion) का शिकार है। इसमें दिल (heart) के चारों ओर तरल पदार्थ जमा हो जाता है। इसके बाद एंटी टीबी इलाज के लिए मरीज को डॉ. प्रवीण कुलकर्णी के पास रेफर कर दिया गया। ऐसे में उसे पेरिकार्डियल कैविटी में एक महीन तक कैथेटर पर रखा गया और ४०० मिलीलीटर कोलेस्ट्रॉल (400 milliliter cholesterol) निकाला गया।इसी किलर कोलेस्ट्रॉल की चपेट में आए ५५ साल के व्यक्ति में दिल के आसपास जमा हुए ४०० मिलीलीटर कोलेस्ट्रॉल को सर्जरी कर बाहर निकाला गया है। इस समस्या से बेहाल मरीज अब पूरी तरह से स्वस्थ है।

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क्यों होती है बीमारी

बदलती लाइफस्टाइल और काम की अधिकता के चलते ज्यादातर लोग अपनी सेहत पर ध्यान नहीं दे पाते हैं। ज्यादातर यह देखने को मिल रहा है कि लोग समय पर न भोजन नहीं करते हैं। इतना ही नहीं बहुत से लोग शरीर के लिए हानिकारक भोजन भी खाते हैं। नतीजतन लोगों में कम उम्र में ही गंभीर बीमारियां देखने को मिल रही हैं। कई बार तो ये बीमारियां जानलेवा भी साबित होती हैं। कुछ ऐसी ही परेशानी शरीर में कोलेस्ट्रॉल के बढ़ने से भी होती है। धीरे-धीरे ये हमारे दिल पर असर डालता है और हार्ट अटैक जैसी बड़ी समस्या हो सकती है। खास बात यह है कि हमारा शरीर हमें कोलेस्ट्रॉल बढ़ने के कोई खास संकेत नहीं देता है।

यह है दुर्लभ बीमारी

पेरिकार्डियल इफ्यूजन दुर्लभ तरह की बीमारी है। यह स्थिति थोरैसिक के रुकावट के कारण पैदा होती है, जो शरीर में सबसे बड़ी लसीका वाहिका है। यह गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल ट्रैक्ट से काइल को रक्त प्रवाह करती है। बीमारी को समझने के लिए एमआर लिम्फैंगियोग्राफी की गई। लसीका वाहिनी में से एक असामान्य रिसाव के कारण पेरिकार्डियल स्पेस में निकल रहा था, जिससे काइलस पेरिकार्डियल इफ्यूजन हो रहा था। मरीज के कोलेस्ट्रॉल स्तर को कम रखने के लिए मध्यम श्रृंखला वाले फैटी एसिड खाद्य पदार्थों पर रखा गया था। सीवीटीएस सर्जन के साथ चर्चा के बाद प्लुरो-पेरिकार्डियल विंडो फॉर्मेशन के साथ आगे बढ़ने का फैसला लिया गया। सर्जरी के बाद मरीज की सेहत जल्दी ठिक हो इसलिए मिनिमली इनवेसिव सर्जरी का उपयोग करके किया गया।

कैंसर का होता है खतरा

सीनियर कंसल्टेंट कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. प्रवीण कुलकर्णी ने कहा कि पेरिकार्डियल इफ्यूजन की शिकायत होने पर दिल के चारों ओर तरल पदार्थ जमा होता है। अन्य कारणों में वायरल संक्रमण, लिम्फोमा जैसे ब्लड कैंसर, उस स्थान पर कैंसर का प्रसार और कुछ ऑटोइम्यून रोग हो सकते हैं।

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