जो इंडिया / नई दिल्ली: पहलगाम (Pahalgam) में हुए भीषण आतंकी हमले के दो महीने बाद भी हमलावर खुले घूम रहे हैं। जिन महिलाओं का सिंदूर उस हमले में मिटा, उनके आँसुओं पर भाजपा ने राजनीति का सिंदूर लगा लिया। नामकरण को ‘ऑपरेशन सिंदूर’ (‘Operation Sindoor’
सूत्रों के मुताबिक, इस हमले के बाद न तो पाकिस्तान में आतंकी ठिकानों पर कोई निर्णायक हमला हुआ और न ही अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत को निर्णायक समर्थन मिल पाया। पाकिस्तान को IMF से राहत पैकेज, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में प्रभाव और अमेरिका से दोस्ताना इशारे मिलते देख कई रक्षा विशेषज्ञों ने भाजपा पर “कठोर कार्यवाही के बजाय केवल फिल्मी संवाद बोलने” का आरोप लगाया।
“मेरे नसों में खून नहीं, गरम सिंदूर बह रहा है” जैसे डायलॉग देने से काम नहीं चलेगा, यहां इंदिरा गांधी जैसा साहस चाहिए,” कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने एक प्रेस वार्ता में कहा। उन्होंने यह भी कहा कि “मोदी सरकार का विदेश नीति का पूरा ढांचा ढह चुका है, चीन-पाक एक साथ खड़े हैं और भारत अकेला रह गया।”
पूर्व सैन्य अधिकारियों का कहना है कि अगर पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों पर हवाई हमले होते तो हमारे पायलटों की जान नहीं जाती। इधर, गुप्तचर एजेंसियों के गलत इनपुट के कारण सरकार की काफी किरकिरी हो रही है।
शहीदों के परिजन भी अब सवाल करने लगे हैं — “दो महीने में क्या सिर्फ नामकरण का तमाशा ही होगा? हत्यारों को सजा कब?”
सरकार की ओर से आधिकारिक बयान में बस इतना कहा गया कि “आतंक के खिलाफ हमारी नीति जीरो टॉलरेंस की है, कार्रवाई जारी है।”
लेकिन विपक्ष का कहना है कि पाकिस्तान को लेकर सरकार के रुख में ढिलाई है और वह अमेरिका और IMF के दबाव में सख्त कदम नहीं उठा पा रही।
अब देखना यह होगा कि भाजपा “पाक अधिकृत कश्मीर लेने” का जो दावा बार-बार दोहराती रही है, उसे निभाने के लिए कोई साहसिक कदम उठाती है या सिर्फ दो चुटकी सिंदूर की कीमत गिनवाती रहेगी।
“दो चुटकी सिंदूर की कीमत तुम क्या जानो, भाजपा?” – यह सवाल अब पूरे देश में गूंज रहा है।
इसे भी पढ़ें –