मुंबई। महाराष्ट्र सरकार(Maharashtra Government)ने हाल ही में “विभागप्रमुख निधी”(Head of Department Fund) नामक एक नया फंड शुरू किया है, जो पहले से ही विवादों में घिर गया है। इस फंड का उद्देश्य विभिन्न क्षेत्रों में विकास कार्यों के लिए धनराशि प्रदान करना बताया जा रहा है, लेकिन इसने राजनीतिक गलियारों में एक नई बहस को जन्म दे दिया है। विभिन्न विकास कार्यों के लिए पहले से ही सांसद निधी, विधायक निधी, और नगरसेवक निधी जैसी व्यवस्थाएं थीं, जिनका उपयोग स्थानीय स्तर पर किया जाता था। लेकिन अब, “विभागप्रमुख निधी” के नाम पर नया फंड शुरू होने के साथ ही सवाल उठने लगे हैं।
माना जा रहा है कि इस फंड के जरिए सरकार विभिन्न पदाधिकारियों को अपनी ओर आकर्षित करने का प्रयास कर रही है। कई लोगों का कहना है कि यह फंड भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने का एक नया तरीका है। सबसे चिंताजनक बात यह है कि इस फंड के लिए किसी भी कानून में कोई स्पष्ट प्रावधान नहीं है। सरकारी प्राधिकरण म्हाडा जैसे संस्थान इस फंड के तहत करोड़ों रुपये के कार्य कर रहे हैं, और इसका प्रचार-प्रसार भी किया जा रहा है। लेकिन सवाल यह है कि इस फंड की मान्यता क्या है? इसे पारित करने का अधिकार किसके पास है?
इस मुद्दे पर महाराष्ट्र के प्रमुख वकील और सामाजिक कार्यकर्ता एडवोकेट सागर देवरे ने राज्यपाल और मुख्य सचिव से इसकी सखोल जांच की मांग की है। उनका कहना है कि यह जानना बेहद जरूरी है कि यह फंड कहां से आया और इसे कौन संचालित कर रहा है।इस मुद्दे ने राज्य की राजनीति में एक नई हलचल मचा दी है, और अब देखना यह है कि सरकार इस पर क्या रुख अपनाती है।