मुंबई। महाराष्ट्र(Maharashtra)में जब से ईडी सरकार(ED Government) सत्ता में आई है, तभी से पूरे राज्य की स्वास्थ्य व्यवस्था(state health system)चरमरा सी गई है। सरकारी अस्पतालों(Government Hospitals)में आए दिन लापरवाही के मामले उजागर हो रहे हैं। फिलहाल इस फेहरिस्त में मुंबई सेंट्रल में स्थित नायर अस्पताल(Nair Hospital located in Mumbai Central)भी शामिल है। बुनियादी सुविधाओं की मार और कुव्यवस्थाओं की वजह से नायर अस्पताल की नाड़ी ढीली पड़ती जा रही है। अस्पताल में इलाज कराने के लिए आनेवाले मरीजों को ओपीडी में घंटों कतार में खड़े रहना पड़ रहा है। मरीजों की समस्या यहीं समाप्त नहीं होती है। डॉक्टरों द्वारा लिखी गई कई दवाइंया अस्पताल में न मिलने से मरीजों और उनके परिजनों को मेडिकल स्टोरों से खरीदनी पड़ती है।
उल्लेखनीय है कि सरकार के राज में मनपा और सरकारी अस्पतालों(Municipal and Government Hospitals) का बुरा हाल है। अस्पतालों की स्थिति ऐसी है कि कहीं दवाओं की कमी है तो कहीं पर चिकित्सकों और अन्य सुविधाओं का अभाव है। इन कमियों के चलते रोजाना मरीजों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। इसी तरह मुंबई मनपा द्वारा संचालित प्रमुख अस्पतालों में से एक नायर में मुंबई और महाराष्ट्र समेत देशभर से मरीज इलाज के लिए आते हैं। 1623 बेड की व्यवस्था वाले इस अस्पताल की ओपीडी में रोजाना तीन से चार हजार मरीज इलाज कराने के लिए आते हैं। इसके साथ ही 100 से 150 मरीज विभिन्न वार्डों में भर्ती होते हैं। इसके साथ ही प्रतिदिन औसतन 40 से 50 सर्जरियां भी की जाती है। इसके बावजूद इस अस्पताल में बुनियादी सुविधाओं की स्थिति बिगड़ी हुई है। अस्पताल के ओपीडी से लेकर इमरजेंसी और अस्पताल के वार्डों में भर्ती मरीज तक असुविधाओं की मार झेल रहे हैं। यहां तक कि आईसीयू में भर्ती मरीज भी बदहाली से अछूते नहीं हैं। साथ ही अस्पताल में सर्जरी कराने के लिए आनेवाले मरीजों का भी हाल बेहाल है।
जांचों के लिए लंबा डेट
नायर अस्पताल में सीटी स्कैन समेत सभी जरूरी जांचों को कराने के लिए लंबी कतारें लगी रहती हैं। सीटी 20 दिन से एक महीने की तारीख दी जा रही है। बीते कई सालों से एमआरआई मशीन की खरीदारी की प्रक्रिया चल रही है, लेकिन आज तक मशीन नहीं खरीदा जा सका है। ऐसे में मरीजों को या तो मनपा के दूसरे अस्पतालों अथवा निजी केंद्रों में एमआरआई स्कैन कराने के लिए भेजा जा रहा है। निजी केंद्रों में इसकी लागत 8,000 से 15,000 रुपए के बीच है, जो बहुत खर्चीला साबित हो रहा है।
स्वच्छता का है अभाव
मरीजों का आरोप है कि नायर अस्पताल में चारों तरफ स्वच्छता का अभाव है। वार्डों में सही तरीके से सफाई न होने से अजीब तरह के दुर्गंध आते हैं। इससे मरीजों के साथ उनके परिजनों को बदबू से बुरा हाल है। इसके अलावा कई इमरजेंसी, आईसीयू समेत कई वार्डों में परिजनों को जाने की अनुमति नहीं होती है। ऐसे में उन्हें वार्ड के बाहर की जमीन पर बैठकर दिन-रात गुजारने पड़ते हैं। परिजनों की मांग है कि उनके लिए स्थाई प्रबंध किया जाना चाहिए। हालांकि अस्पताल प्रशासन का कहना है कि स्थानीय संस्थाओं की मदद लेकर मरीजों के परिजनों के लिए सुविधाएं मुहैया कराई जा रही है।
दवाओं की है किल्लत
अस्पताल में मरीजों के सामने सबसे बड़ी चुनौती दवाओं की है। अस्पताल में कई दवाएं न मिलने से मरीजों को मेडिकल स्टोरों में जाना पड़ता है, जहां मरीजों और उनके परिजनों को अधिक कीमत देकर दवाएं खरीदनी पड़ती हैं।
कैंसर के इलाज की हो रही प्रतीक्षा
महाविकास आघाडी सरकार(Maha Vikas Aghadi Govt) के कार्यकाल में नायर अस्पताल(Nair Hospital)में कैंसर का इलाज शुरू किए जाने का प्रस्ताव तैयार किया गया था। यह प्रस्ताव ईडी सरकार में देरी से मंजूर हुआ। इसके साथ ही इसका काम भी कछुए के गति से शुरू है। नौ मंजिला बनने वाले ऑन्कोलॉजी सर्विस बिल्डिंग का निर्माण चल रहा है। जिस पूरा होने में एक साल से अधिक समय लगने की संभावना है।