जो इंडिया / मुंबई: महाराष्ट्र राज्य ( maharashtra news) में प्रसव के दौरान मां और नवजात की मौतों aur garbhdharan kiye hue Maternal mortality) की संख्या चिंताजनक स्तर पर पहुंच गई है। महायुति सरकार के जननी सुरक्षा योजना (Mother Security Scheme in Maharashtra) और अन्य मातृत्व योजनाओं के बावजूद यह गंभीर आंकड़े सामने आए हैं। प्राप्त आंकड़ों के अनुसार, पिछले तीन वर्षों में राज्य में कुल 44,286 जच्चा-बच्चा की मौतें हुई हैं। इसमें 39,906 नवजात और 3,836 गर्भवती महिलाएं शामिल हैं। महायुति सरकार के जननी सुरक्षा योजना (Mother Security Scheme in Maharashtra) और अन्य मातृत्व योजनाओं के बावजूद यह गंभीर आंकड़े सामने आए हैं।
मुंबई बना मौत का सबसे बड़ा केंद्र
स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, अकेले मुंबई में 3,987 नवजातों और 568 गर्भवती महिलाओं की मौत हुई है। वहीं, मुंबई मेट्रोपॉलिटन रीजन (MMR) में भी हालात गंभीर रहे जहां कुल 8,443 नवजातों और 936 महिलाओं की मौत हुई है।
सरकार की मातृत्व योजनाओं की पोल खुली
राज्य सरकार की ओर से चलाई जा रही जननी सुरक्षा योजना, पूरक पोषण आहार योजना, और आंगनवाड़ी सेवाओं के बावजूद इन मौतों की संख्या कम नहीं हो पा रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि ये आंकड़े सीधे तौर पर सरकार की लापरवाही को उजागर करते हैं।
मुंबई आगे, नागपुर और पुणे भी पीछे नहीं
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस का गृह जिला नागपुर 427 मौतों के साथ दूसरे स्थान पर है, जबकि पुणे में 378 गर्भवती महिलाओं की मौत हुई। नासिक में 2,974 और पालघर में 1,133 नवजातों की मौतें दर्ज की गई हैं।
आश्चर्य , 460 जच्चा-बच्चा की एक साथ मौतें
सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि राज्य में पिछले तीन सालों में 460 मामलों में मां और बच्चे दोनों की एक साथ मौत हुई है। इनमें से मुंबई में सबसे ज्यादा 76 मामले दर्ज हुए हैं।
महायुति सरकार का स्वास्थ्य से खिलवाड़
विशेषज्ञों और सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार किए बिना केवल योजनाओं की घोषणा करना महज दिखावा है। ईडी 2.0 सरकार की इस लापरवाही ने हजारों जिंदगियों को निगल लिया है।
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