मुंबई। मुंबई समेत देशभर के अस्पतालों द्वारा ब्लड बैंक (Blood Bank)चलाए जाते हैं लेकिन यह ब्लड बैंक अस्पताल इमारत या परिसर में नहीं हैं। इसलिए केंद्र सरकार के स्वास्थ्य सेवा विभाग ने ऐसे ब्लड बैंकों के खिलाफ कार्रवाई करने का फैसला किया है सभी राज्य खाद्य एवं औषधि प्रशासनों को निर्देश दिया गया है कि वे ऐसे ब्लड बैंकों के लाइसेंस के नवीनीकरण के लिए आवेदनों पर विचार न करें।
राज्य समेत देशभर के कई सरकारी और निजी अस्पतालों में ब्लड बैंक संचालित है। इन ब्लड बैंकों की अनुमति के लिए आवेदन संबंधित अस्पताल के नाम पर किया जाता है। मरीजों को समय पर रक्त आपूर्ति प्रदान करने के उद्देश्य से अस्पताल ब्लड बैंकों को मंजूरी दी गई है। हालांकि यह पाया गया है कि कई अस्पतालों के नाम पर स्वीकृत ब्लड बैंक संबंधित अस्पताल भवन या परिसर में नहीं हैं। इसलिए इन ब्लड बैंकों से गड़बड़ी की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता। इस मामले पर विचार करते हुए केंद्र सरकार ने उन ब्लड बैंकों का लाइसेंस रद्द करने का फैसला किया है जो अस्पताल के नाम पर चलाए जाते हैं, लेकिन अस्पताल के परिसर में नहीं और लाइसेंस के नवीनीकरण को भी मंजूरी नहीं दी जाएगी।
ब्लड बैंकों को हर पांच साल में अपने लाइसेंस का नवीनीकरण कराना होता है। लाइसेंस देने या नवीनीकरण के लिए, औषधि नियम, 1945 के नियम 122-जी के तहत राज्य औषधि विभाग और सीडीएससीओ को आवेदन किया जाता है। केंद्र सरकार के निर्देशानुसार अस्पताल के नाम पर लेकिन अस्पताल परिसर में नहीं स्थित ब्लड बैंकों के लाइसेंस नवीनीकरण आवेदनों पर विचार नहीं किया जाना चाहिए। यदि ऐसे आवेदन आते हैं तो उन्हें अपने स्तर पर ही निरस्त कर दिया जाए, इसके निर्देश भी केंद्र सरकार के स्वास्थ्य सेवा विभाग ने प्रदेश के सभी खाद्य एवं औषधि प्रशासन को दिए हैं। खाद्य एवं औषधि प्रशासन के सहायक आयुक्त डी आर गव्हाणे ने बताया कि हमने केंद्र के दिशानिर्देशों के अनुसार सत्यापन शुरू कर दिया है।’ यदि ऐसा ब्लड बैंक पाया गया तो उस पर तत्काल कार्रवाई की जायेगी। लेकिन महाराष्ट्र में अभी तक ऐसा कोई ब्लड बैंक नहीं मिला है, हमारी वेरिफिकेशन प्रक्रिया जारी है।