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लोगों के जीवनशैली में आए बदलाव और गलत खानपान के चलते लोग विभिन्न तरह के कैंसर के शिकार हो रहे हैं। इसमें कोलन कैंसर का भी समावेश है। चिकित्सकों की माने तो यह पेट से जुड़ा कैंसर है। ऐसे में पेट से संबंधित किसी भी बीमारी को हल्के में नहीं लेना चाहिए, क्योंकि जरा सी लापरवाही भारी पड़ सकता है। हालांकि समय पर निदान और इलाज से इसे मात दिया जा सकता है।
उल्लेखनीय है कि पिछले कुछ सालों में हिंदुस्थान ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया में कोलन कैंसर यानी बड़ी आंत का कैंसर के मामले काफी तेजी से बढ़ रहे हैं। इसे देश में चौथा सबसे आम कैंसर भी कहा जाता है। कैंसर सर्जनों का कहना है कि इस बीमारी के शिकार किसी भी उम्र में हो सकते हैं।
कोलन कैंसर के हैं कई कारण
कार्सिनोजेनिक के प्रभाव वाले रेड मीट या अन्य खाद्य पदार्थ जिसमें कैंसर को बढ़ावा देने वाले कारक पाए जाते हैं, ये कोलन कैंसर के खतरे को बढ़ा सकते हैं। चिकित्सकों का कहना है कि आम तौर पर भोजन 90 मिनट के भीतर पेट से निकल जाता है। साथ ही ढाई घंटे के भीतर यह कोलन को छोड़कर मलाशय तक पहुंच जाता है। लेकिन यदि आपकी जीवनशैली निष्क्रिय या कम सक्रिय है, तो आपकी बड़ी आंत में मल तेजी से बढ़ता है। इससे उत्पादन प्रक्रिया धीमी हो जाती है।
इसके है कुछ और लक्षण
इसके अलावा कुछ अन्य लक्षण भी हैं जो इस बीमारी का संकेत देते हैं। मल में खून आना या मल में खून के छोटे या बड़े थक्के आना इस रोग का एक लक्षण है। लगातार दस्त या कब्ज की समस्या होना। कमजोरी या थकान और भूख न लगना, वजन कम होना, पेट में दर्द या बेचैनी भी इसके लक्षणों में शामिल है।
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