जो इंडिया / मुंबई: वर्ली में कोस्टल रोड परियोजना (Coastal Road Project mumbai)
कोस्टल रोड प्रोजेक्ट की जमीन पर सख्त सुरक्षा के बावजूद कब्जा ?
नागरिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि जिस भूमि पर प्रवेश नियंत्रित है, वहां इतनी संख्या में अवैध निर्माण होना दर्शाता है कि यह कोई सामान्य लापरवाही नहीं, बल्कि सुनियोजित प्रयास हो सकता है। पूर्व पुलिस अधिकारियों ने भी आशंका जताई है कि यह पूरी योजना किसी फायदे के उद्देश्य से रची गई थी।
बीएमसी से पीएपी घोषित करवाने की साजिश?
सूत्रों के अनुसार, इन झोपड़ियों को बसाकर उन्हें ‘प्रोजेक्ट अफेक्टेड पर्सन्स’ (PAP) घोषित कराने की कोशिश की जा रही थी। यदि ऐसा हो जाता, तो वहां रहने वालों को सरकारी पुनर्वास योजना का लाभ मिलता, और बिल्डरों को निर्माण के लिए कानूनी अधिकार मिल सकते थे।
एफएसआई का फायदा उठाने की कोशिश
मुंबई में स्लम रिहैबिलिटेशन स्कीम (SRA) के अंतर्गत अधिक एफएसआई (फ्लोर स्पेस इंडेक्स) मिलने की व्यवस्था है। ऐसे में यह आशंका जताई जा रही है कि इस योजना के ज़रिए बहुमूल्य ज़मीन को प्राइवेट डेवलपमेंट के लिए खोला जा सकता था।
मनपा की देरी पर सवाल
मनपा ने अब तक 17 अवैध झोपड़ियों को गिरा दिया है और बाकी पर जल्द कार्रवाई का भरोसा दिया है। अधिकारियों का कहना है कि ये ढांचे सीवेज पाइपलाइन और निर्माण कार्य में बाधा बन रहे थे। हालांकि, कार्यकर्ताओं का आरोप है कि जब तक उन्होंने शिकायत नहीं की, तब तक कोई कदम नहीं उठाया गया।
कोस्टल रोड जैसे हाई-प्रोफाइल प्रोजेक्ट की भूमि पर इस तरह के अतिक्रमण ने न केवल प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े किए हैं, बल्कि यह संकेत भी दिया है कि कहीं न कहीं बड़ी साजिश की परछाई मौजूद हो सकती है।
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