जो इंडिया / मुंबई: (Satyapal Malik Pulwama statement)
जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक (Satya Pal Malik, former Governor of Jammu and Kashmir
“मैं जीवित रहूं या न रहूं, मुझे देशवासियों को सत्य बताना है” — ICU में भर्ती मलिक की यह आखिरी पोस्ट अब मौत के पीछे किसी गहरी साजिश की ओर इशारा कर रही है।
पोस्ट में लिखा था ‘मुझे सत्य कहना है’, क्या कोई राज़ छिपा था?
7 जून को मलिक ने अस्पताल से एक्स (ट्विटर) पर पोस्ट किया था कि उनकी तबीयत फिर बिगड़ गई है और ICU में शिफ्ट किया गया है। उन्होंने आगे लिखा कि उन्हें देश से एक ‘सत्य’ साझा करना है, भले ही वह जिंदा रहें या नहीं।
इस पोस्ट ने उनकी मौत के बाद नए सवाल खड़े कर दिए हैं — क्या वे किसी बड़े खुलासे की तैयारी में थे? क्या उन्हें किसी बात का खतरा महसूस हो रहा था?
रिश्वत, पुलवामा और सीबीआई जांच जैसे आरोप
अपने कार्यकाल के दौरान सत्यपाल मलिक ने कई चौंकाने वाले दावे किए थे:
राज्यपाल रहते उन्हें 150-150 करोड़ की रिश्वत की पेशकश हुई थी।
उन्होंने खुद प्रधानमंत्री को बताया था कि टेंडर में घोटाला हो रहा है।
मलिक ने खुद उस टेंडर को रद्द किया, लेकिन बाद में उसी पर किसी और के दस्तखत से काम आगे बढ़ाया गया।
उन्होंने पुलवामा हमले की जांच की मांग की थी, जिसमें 40 जवान शहीद हुए थे।
किसानों और महिला पहलवानों के आंदोलनों में भी वे खुलकर सरकार के विरोध में खड़े हुए।
मौत या मौन कराने की साजिश?
उनकी मौत के बाद विपक्षी दलों और सोशल मीडिया पर इस बात की जांच की मांग की जा रही है कि क्या यह केवल प्राकृतिक मृत्यु थी या उनके द्वारा किए जा रहे संभावित खुलासों से पहले एक ‘मौन कराने वाली रणनीति’ का हिस्सा?
निष्पक्ष जांच की मांग
कई राजनीतिक विश्लेषकों और सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि सत्यपाल मलिक जैसे संवैधानिक पद पर रहे व्यक्ति की मौत के पहले की परिस्थितियों और बयानों को गंभीरता से लेकर जांच होनी चाहिए, ताकि सच सामने आ सके।