जो इंडिया / मुंबई:
शिरडी में एक किसान सम्मेलन में बोलते हुए कोकाटे ने कहा कि, “महाराष्ट्र के किसान दूध सहकारी समिति बनाने के लिए आगे नहीं आ रहे हैं, जबकि गुजरात की डेयरियां यहां सीधे किसानों से दूध खरीद रही हैं और उन्हें ज्यादा पैसा दे रही हैं। इससे किसानों का मोह गुजरात की कंपनियों की ओर बढ़ रहा है और राज्य का व्यापार उनके हाथ में जाता जा रहा है।”
कोकाटे ने यह भी कहा कि यह सिर्फ दूध व्यवसाय तक सीमित नहीं है, बल्कि महायुति सरकार के आने के बाद लगातार महाराष्ट्र के बड़े-बड़े उद्योग और प्रोजेक्ट गुजरात शिफ्ट किए जा रहे हैं। इससे राज्य की अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक असर पड़ रहा है और स्थानीय युवाओं के रोजगार के अवसर भी छिनते जा रहे हैं।
उन्होंने सरकार पर कटाक्ष करते हुए कहा, “हमारी आंखें अब भी नहीं खुल रही हैं। जो चीज़ें महाराष्ट्र की थीं, वे एक-एक करके गुजरात को दी जा रही हैं और हम तमाशा देख रहे हैं।”
विपक्ष पहले से ही इस मुद्दे को लेकर सरकार पर हमलावर रहा है। अब खुद सत्ताधारी दल के एक मंत्री द्वारा इस तरह की खुली आलोचना सामने आना, महायुति में अंदरूनी खटास की ओर संकेत करता है। कई विश्लेषक इसे सरकार के भीतर बढ़ते विरोध और असंतोष के रूप में देख रहे हैं।
इस बयान के बाद महाराष्ट्र के किसान संगठनों और विपक्षी दलों ने मंत्री के बयान का समर्थन करते हुए सरकार से तत्काल स्थिति सुधारने की मांग की है।