मुंबई । केंद्र सरकार (Central government) भले ही विकास का ढोल पीट रही हो लेकिन इस ढोल की पूरी पोल विश्व बैंक (World Bank) ने खोल दी है। पिछले कुछ वर्षों से सुस्ती के दौर से गुजर रही हिंदुस्थान की अर्थव्यवस्था (Economy of india) फिर लड़खड़ाने की संभावना है। देश का सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) दर 6.3 प्रतिशत पर आ सकती है(GDP), जो पिछली अनुमानित दर 6.6 फीसदी से कम है। यह निष्कर्ष कल जारी की गई विश्व बैंक की रिपोर्ट में निकाला गया है। इसके अलावा तेल उत्पादक एवं निर्यातक देशों (ओपेक) द्वारा कच्चे तेल के उत्पादन में अचानक कटौती करने का असर भी भारतीय बाजार पर पड़ेगा। ईंधन की दरें प्रभावित होने से महंगाई और रुलाएगी।
विश्व बैंक की रिपोर्ट में कहा गया है कि हिन्दुस्थान की जीडीपी वृद्धि 2023-24 में खपत में कमी आने की वजह से धीमी पड़कर 6.3 फीसदी पर आ सकती है, जो पहले के 6.6 फीसदी के अनुमान से कम है। खपत में धीमी बढ़ोतरी होने और चुनौतीपूर्ण बाहरी परिस्थितियों की वजह से वृद्धि बाधित हो सकती है। आय में धीमी वृद्धि और कर्ज के महंगा होने का असर निजी उपभोग की वृद्धि पर पड़ेगा। चालू खाता घाटा 2023-24 में कम होकर 2.1 फीसदी पर आ सकता है, जो तीन फीसदी था। मुद्रास्फीति के बारे में अनुमान जताया गया है कि यह 6.6 फीसदी से घटकर 5.2 फीसदी पर आ सकती है।
100 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच सकती हैं कीमतें
विशेषज्ञों के अनुसार तेल उत्पादक व निर्यातक देशों द्वारा कच्चे तेल के उत्पादन में अचानक कटौती करने से तेल बाजार में खलबली मच गई है। विश्लेषकों का कहना है कि कच्चे तेल की तगड़ी मांग के बीच यदि उत्पादन में कटौती जारी रही तो इस साल के अंत तक कीमतें बढ़कर 100 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच सकती हैं। आपूर्ति में रोजाना करीब 11.5 लाख बैरल की कमी काफी है।
हिंदुस्थान के लिए झटका
जानकारों के अनुसार कच्चे तेल की कमी मुद्रास्फीति, केंद्रीय बैंकों की नीतिगत सख्ती, वैश्विक आर्थिक परिदृश्य और तेल की वैश्विक मांग पर जबरदस्त प्रभाव डालेगा। इक्विनॉमिक्स रिसर्च के संस्थापक व अनुसंधान प्रमुख जी. चोकालिंगम के अनुसार ओपेक देशों द्वारा उत्पादन में कटौती वैश्विक अर्थव्यवस्था और खासकर हिंदुस्थान के लिए झटका है। कटौती तब की जा रही है जब अल नीलो की आशंका से मॉनसून सामान्य रहने की संभावना कम दिख रही है। इधर कच्चे तेल के उत्पादन में कटौती ने भारत पेट्रोलियम, हिंदुस्तान पेट्रोलियम, इंडियन ऑयल के शेयरों पर प्रतिकूल असर पड़ा है।
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