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Government uniform scam: 105 करोड़ की गड़बड़ी पर मंत्री का बचाव, विपक्ष ने की स्वतंत्र जांच की मांग”

school uniform scam

जो इंडिया / मुंबई: महाराष्ट्र की महायुति सरकार  (Mahayuti government of Maharashtra

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) पर एक बार फिर भ्रष्टाचार (Corruption) के गंभीर आरोप लगे हैं। इस बार मामला आदिवासी बच्चों (Tribal children) के लिए खरीदी गई यूनिफॉर्म और नाइट ड्रेस (।  (Uniform and Night Dress) से जुड़ा है। सरकारी आश्रम शालाओं में अध्ययनरत छात्रों के लिए की गई खरीद प्रक्रिया में भारी अनियमितता उजागर हुई है। ठेकेदारों द्वारा यूनिफॉर्म की रकम हड़पने और 105 करोड़ रुपए के घोटाले के आरोप लगे हैं।

इस घोटाले को लेकर विपक्ष ने विधान परिषद में जोरदार सवाल उठाए। विपक्षी विधायक चंद्रकांत रघुवंशी ने सवाल किया कि क्या 114 करोड़ की खरीदी बिना निविदा प्रक्रिया के दर करार के माध्यम से की गई? क्या 95 करोड़ की आपूर्ति से जुड़ी सभी फाइलें, मंजूरी और भुगतान एक ही दिन — 15 मार्च 2024 — को कर दिए गए? यदि हां, तो यह पूरा मामला पूर्वनियोजित लगता है।

मंत्री का बचाव:
आदिवासी विकास मंत्री डॉ. अशोक उईके ने विपक्ष को जवाब देते हुए कहा कि यूनिफॉर्म, पीटी व नाइट ड्रेस की खरीदी वर्ष 2016 की नीति और 2023 में निर्धारित दरों के अनुसार की गई। 105.84 करोड़ की खरीदी को शासन की मंजूरी 15 मार्च 2024 को प्राप्त हुई और उसी दिन 95.19 करोड़ की फाइलों पर हस्ताक्षर और आपूर्ति आदेश जारी किए गए। मंत्री ने दावा किया कि आपूर्तिकर्ता द्वारा वस्तुएं भेजे जाने के बाद भुगतान किया गया और इस पूरी प्रक्रिया में कोई भ्रष्टाचार नहीं हुआ है।

विपक्ष का तीखा रुख:
मंत्री के जवाब से असंतुष्ट विपक्षी सदस्यों ने इस घोटाले की निष्पक्ष जांच की मांग की। उनका कहना है कि यदि एक ही दिन में फाइलें तैयार हुईं, मंजूरी मिली और भुगतान भी हो गया, तो यह सीधे-सीधे नियमों की अनदेखी और पूर्व-नियोजित भ्रष्टाचार का संकेत देता है। उन्होंने इस मामले को आदिवासी छात्रों के साथ विश्वासघात बताते हुए जिम्मेदार अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई की मांग की।

पोषण आहार में भी बड़ा फेल!

राज्य के अनुदानित छात्रावासों में रह रहे बच्चों को मिलने वाले पोषण आहार में भी भारी गिरावट दर्ज की गई है। विपक्ष ने सरकार से सवाल किया कि अनुदान न बढ़ने की वजह से बच्चों के स्वास्थ्य से खिलवाड़ क्यों किया जा रहा है? इस पर मंत्री संजय शिरसाट ने स्वीकारा कि सरकारी और अनुदानित छात्रावासों में प्रति विद्यार्थी पोषण अनुदान में भारी अंतर है — सरकारी हॉस्टल में ₹4,500 प्रतिमाह और अनुदानित में केवल ₹2,200। यह असमानता अब भी बरकरार है।

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