कृषि प्रधान राज्य महाराष्ट्र में खेती योग्य भूमि तेजी से कम हो रही है। केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने लोकसभा में दिए गए एक लिखित जवाब में बताया कि पिछले 5 वर्षों में महाराष्ट्र में 3.25 लाख हेक्टेयर कृषि भूमि कम हो गई है। देशभर में घट रही कुल कृषि भूमि में से आधे से ज्यादा नुकसान अकेले महाराष्ट्र में हुआ है।
महाराष्ट्र का कुल क्षेत्रफल 3.7 करोड़ हेक्टेयर है, जिसमें से 1.65 करोड़ हेक्टेयर कृषि योग्य भूमि है। इस साल सिर्फ 1.64 करोड़ हेक्टेयर भूमि पर ही खेती की जा रही है। प्रमुख फसलों की बात करें तो कपास 52 लाख हेक्टेयर और सोयाबीन 50 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में उगाई जा रही है।
क्यों घट रही कृषि भूमि?
विशेषज्ञों के अनुसार, कृषि भूमि में हो रही इस गिरावट के पीछे कई बड़े कारण हैं:
✅ शहरीकरण: तेजी से बढ़ते शहरों के कारण खेतों की जमीन पर इमारतें बन रही हैं।
✅ बुनियादी ढांचा: राष्ट्रीय और राज्य राजमार्ग, रेलवे लाइनें, औद्योगीकरण के लिए भूमि अधिग्रहण।
✅ औद्योगीकरण: कंपनियों और फैक्ट्रियों के लिए किसानों की उपजाऊ जमीन ली जा रही है।
किसानों का विरोध जारी
पश्चिमी महाराष्ट्र में शक्तिपीठ हाईवे के विरोध में किसान सड़कों पर उतर चुके हैं। किसान नेता राजू शेट्टी ने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि “अगर कृषि भूमि इसी तरह कम होती रही, तो भविष्य में देश को खाद्यान्न संकट का सामना करना पड़ेगा।”
राज्य के कृषि मंत्री माणिकराव कोकाटे ने भी स्वीकार किया कि बुनियादी ढांचा परियोजनाओं की वजह से कृषि भूमि प्रभावित हो रही है। हालांकि, सरकार ने अब तक इस पर कोई ठोस नीति नहीं बनाई है।
“हरित क्रांति का योगदान देने वाला महाराष्ट्र अब कृषि संकट में!”
महाराष्ट्र ने देश की हरित क्रांति में अहम भूमिका निभाई थी, लेकिन अब वही राज्य खेती के संकट से जूझ रहा है। विकास के नाम पर अगर कृषि योग्य भूमि लगातार कम होती रही, तो आने वाली पीढ़ियों के पास पछताने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचेगा।
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