जो इंडिया / तलोजा : तलोजा एमआईडीसी (Taloja MIDC) में कार्यरत उद्योगों को हाल ही में पनवेल नगर निगम (PMC) द्वारा भेजे गए संपत्ति कर नोटिस ने औद्योगिक क्षेत्र में उथल-पुथल मचा दी है। 2016 से 2024 तक के कर की मांग ने उद्योगों को असमंजस और आक्रोश की स्थिति में ला दिया है।
यह कर मांग ऐसे समय में की गई है जब पहले से ही यह क्षेत्र महाराष्ट्र औद्योगिक विकास निगम (MIDC) के अधीन आता है, और राज्य की औद्योगिक नीतियाँ स्पष्ट रूप से कहती हैं कि इस पर किसी नगर निगम का अधिकार नहीं होगा।
उद्योगों ने इस कदम को “दोहरी कराधान का अनुचित और गैरकानूनी प्रयास” बताया है और कहा है कि यह उन्हें न केवल आर्थिक रूप से नुकसान पहुंचा रहा है, बल्कि उनकी प्रतिस्पर्धात्मकता पर भी सीधा असर डाल रहा है।
“एक ओर हमें MIDC को बुनियादी सेवाओं के लिए शुल्क देना होता है, वहीं अब PMC भी उन्हीं सुविधाओं के लिए अलग से कर मांग रही है। यह दोहरा बोझ अस्वीकार्य है,” एक स्थानीय उद्योगपति ने कहा।
PMC द्वारा जबरन कर वसूली के लिए संपत्तियाँ जब्त करने की धमकी दी जा रही है, जिससे क्षेत्र में व्याप्त औद्योगिक विश्वास डगमगा रहा है। यह स्थिति निवेशकों और विस्तार की योजना बना रहे व्यवसायों को भी प्रभावित कर रही है।
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सीईटीपी तलोजा के उपाध्यक्ष संदीप डोंगरे ने चेताया, “यह कार्रवाई ‘मेक इन इंडिया’ और ‘ईज़ ऑफ डूइंग बिजनेस’ जैसी राष्ट्रीय पहलों की साख को नुकसान पहुंचा रही है।”
उद्योग प्रतिनिधियों ने महाराष्ट्र सरकार से तत्काल हस्तक्षेप की माँग की है ताकि MIDC की कराधान संप्रभुता को बरकरार रखा जा सके और इस दोहरी कर नीति को समाप्त किया जाए।
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