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दिवा को नवी मुंबई मनपा में शामिल करने की उठी मांग,मनपा आयुक्त को दिया पत्र

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ठाणे। राज्य में एक ओर जहां महाराष्ट्र और बेलगाम में सीमा विवाद शुरू है। वहीं अब दिवा के नागरिकों ने भी ठाणे मनपा के आयुक्त अभिजीत बांगर से पिछले 40 साल से मूलभूत सुविधाओं से वंचित रहने की बात करते हुए उन्हें नवी मुंबई पालिका में शामिल करने की मांग की है। दिव्यती जगा हो दिवेकर संस्था की ओर से दिए गए पत्र के बाद अब थाने में भी सीमा विवाद के संकेत दिखाई दे रहे है ।

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एक तरफ महाराष्ट्र और कर्नाटक सीमा विवाद का मुद्दा दिन पर दिन तूल पकड़ता जा रहा है, वहीं दिवा को ठाणे मनपा से अलग करने की मांग दिवेकर संस्था के अध्यक्ष विजय भोईर ने एक पत्र के माध्यम से ठाणे मनपा आयुक्त अभिजीत बांगर से की है। ठाणे महानगर पालिका की स्थापना हुए लगभग 40 वर्ष बीत चुके हैं। इसमें बहुत सारी खार भूमि, खाड़ी क्षेत्र शामिल थे। इसका एक बहुत बड़ा हिस्सा दिवा ग्रामीण क्षेत्र है। ठाणे मनपा ने बड़े वादों के साथ दतिवली, बेतवडे, साबे, अगासन, म्हताड़ी , देसाई, पडले, खिडकली, शील, खरडी जैसे कई खाड़ी इलाकों को शामिल किया। जिसका भूमिपुत्रो ने पहले ही विरोध कर दिया था। लेकिन पालिका ने कुछ स्थानीय लोगों को भरोसे में लेकर ग्रामीणों का विश्वास हासिल किया। लेकिन दुर्भाग्य से ठाणे मनपा ने हमारे द्वारा रखे गए भरोसे को विफल हुआ है। इस पत्र में लिखा है कि इतने वर्षों के बाद भी यहां के निवासियों को मूलभूत सुविधाओं से वंचित रहना पड़ रहा है। हमें अभी भी पीने का पानी नहीं मिलता है। उल्टे ट्रेन से पीने का पानी भर कर लाते समय दिवा के नागरिकों को अपनी जान गंवानी पड़ती है। साधारण सा स्वास्थ्य केंद्र, शौचालय नहीं, कोई काम होता तो वह भी सिर्फ पैसे कमाने का जरिया बन गया। सड़कों की मरम्मत, सीवरेज के काम भ्रष्टाचार के औजार मात्र बनकर रह गए। दिवा और क्षेत्र भ्रष्टाचार की खान बन गया है। दिवा को जानबूझकर विकास से दूर रखा गया है। अब हम सभी का सब्र टूट गया है। उन्होंने मांग की है कि इसका एकमात्र समाधान यह है कि दिवा क्षेत्र को ठाणे महानगर पालिका से अलग कर नवी मुंबई मनपा में शामिल किया जाए। प्रारंभ में हमें नवी मुंबई पालिका द्वारा शामिल करने का प्रस्ताव था। लेकिन हमने मना कर दिया और बाद में ठाणे मनपा में शामिल होने का फैसला किया। जिसका हमें अब बहुत मलाल है। हालांकि, हम अपनी गलती सुधारना चाहते हैं। उसके लिए दिवा ग्रामीण और आसपास के क्षेत्रों को नवी मुंबई में शामिल किया जाना चाहिए, उन्होंने यह भी कहा है। नवी मुंबई में भी कई इलाके दिवा की तरह थे। लेकिन सटीक योजना और पारदर्शी शासन के कारण आज हम नवी मुंबई का परिवर्तन देख रहे हैं। इसलिए उन्होंने मांग की है कि हमें एक बार फिर नवी मुंबई पालिका में शामिल कर लिया जाए और हमें इस नारकीय यातना से मुक्त किया जाए।

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