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आलू-प्याज की मंडी का पुनर्विकास करने की मांग ,

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वाशी स्थित एपीएमसी आलू-प्याज मंडी के पुनर्विकास करने से संबंधित प्रस्ताव लगभग एक साल से तैयार किया गया है।लेकिन अभी तक इस पर किसी भी तरह का निर्णय नही लिए जाने के कारण जर्जर हो चुके बाजार का पुनर्वसन रुका हुआ है। इसके लिए आलू प्याज मंडी के व्यापारियों ने सिडको और एपीएमसी प्रशासन को पत्र लिख कर जल्द से जल्द निर्णय लेने की मांग करते हुए कहा है कि इस के पुनर्वसन में होने वाले खर्च भी गाला धारक उठाने के लिए तैयार है।

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जिसके तहत सिडको महामंडल का गठन किया गया था। जिसने वर्ष 1970 में नवी मुंबई का नियोजन का काम शुरू किया था। वर्ष 1982 में सिडको द्वारा वाशी में 75 एकड़ में एपीएमसी के लिए 5 मंडियों का निर्माण किया गया। जिसमें आलू-प्याज की मंडी का समावेश था। 23 वर्ष के दौरान इस मंडी में बनी दुकानों की हालत खस्ता हो गई। इसके चलते वर्ष 2005 में इस मंडी को खतरनाक घोषित किया गया था। इस मंडी में कुल 234 दुकानें हैं जिनके पुनर्विकास का मामला पिछले 17 साल से लटका हुआ है।

दुकान मालिकों को मिलेगी दोगुना जहग देने का प्लान

मौजूदा समय में आलू-प्याज की गालों का क्षेत्रफल 680 वर्ग फुट है। पुनर्विकास के बाद इन दुकान मालिकों को 680 वर्ग फुट की बजाय 1360 वर्ग फुट की दुकान मिलेगी। पुनर्विकास से दुकानदारों को जहां पुरानी जर्जर दुकान से छुटकारा मिलने वाला है, वहीं दुकानों का क्षेत्रफल बढ़ने पर दुकानदारों को उसमें आलू-प्याज का भंडारण करने में आसानी होगी।

 

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