जो इंडिया / मुंबई
महाराष्ट्र की राजनीति में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे (Chief Minister Devendra Fadnavis and Deputy Chief Minister Eknath Shinde in Maharashtra politics) के बीच तनातनी बढ़ती जा रही है। फडणवीस के ‘वॉर रूम’ के जवाब में शिंदे ने ‘कोऑर्डिनेशन रूम’ स्थापित किया है, जिसे राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता और शक्ति प्रदर्शन के रूप में देखा जा रहा है।
क्या है पूरा मामला?
फडणवीस ने राज्य में महत्वपूर्ण परियोजनाओं की समीक्षा और बाधाओं को दूर करने के लिए ‘वॉर रूम’ स्थापित किया था। अब एकनाथ शिंदे ने शिवसेना के अधीन आने वाली परियोजनाओं की निगरानी के लिए स्वतंत्र ‘कोऑर्डिनेशन रूम’ शुरू किया। राजनीतिक हलकों में इसे फडणवीस को चुनौती देने की नाकाम कोशिश बताया जा रहा है।
सत्ता में दो केंद्र बनने की आशंका
शिंदे गुट के मंत्रियों के पास नगर विकास, म्हाडा, एमएसआरडीसी और गृहनिर्माण जैसे अहम विभाग हैं। अब इन विभागों की समीक्षा शिंदे के समन्वय कक्ष से होगी, जिससे यह सवाल उठने लगा है कि क्या सरकार में दो सत्ता केंद्र बन रहे हैं?
शिंदे की नाराजगी और बढ़ता असंतोष
राज्य में महायुति सरकार बनने के बाद से शिंदे लगातार असंतुष्ट दिख रहे हैं।
मुख्यमंत्री पद की खींचतान
मंत्रिमंडल विस्तार और विभागों के बंटवारे पर मतभेद
पालकमंत्री पद की नियुक्ति को लेकर टकराव
हाल ही में फडणवीस की एक महत्वपूर्ण बैठक में शिंदे की गैरहाजिरी भी चर्चा का विषय बनी। इससे यह अटकलें तेज हो गई हैं कि शिंदे गुट सरकार में खुद को दरकिनार महसूस कर रहा है।
पहले भी हो चुका शक्ति प्रदर्शन
जब शिंदे मुख्यमंत्री थे, तब उन्होंने मुख्यमंत्री सहायता निधि कक्ष के जरिए कई जरूरतमंदों की मदद की थी। लेकिन अब यह कक्ष फडणवीस के नियंत्रण में चला गया है। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए शिंदे ने ‘उपमुख्यमंत्री सहायता कक्ष’ बना दिया और मंगेश चिवटे को फिर से प्रमुख पद पर नियुक्त कर दिया। इसे भी फडणवीस को सीधी चुनौती के रूप में देखा जा रहा है।
क्या महाराष्ट्र में फिर से सत्ता संघर्ष तेज होगा?
शिंदे और फडणवीस के बीच बढ़ती दूरियों और शक्ति संतुलन की इस लड़ाई से सरकार में अस्थिरता की अटकलें तेज हो गई हैं। क्या यह कोल्ड वॉर आगे जाकर खुली जंग में बदलेगा? यह महाराष्ट्र की राजनीति में देखने वाली बड़ी बात होगी।