जोइंडिया/ मुंबई: महानगर के पूर्व और पश्चिम उपनगरों (Eastern and Western suburbs of the metropolis
यह जानकारी BMC के अतिरिक्त आयुक्त (प्रकल्प) अभिजीत बांगर ने दी। उन्होंने बताया कि परियोजना की शर्तों का पालन और आवश्यक प्रक्रियाएं महानगरपालिका द्वारा शुरू की गई हैं। बांगर ने विश्वास जताया कि यह प्रोजेक्ट न केवल ट्रैफिक व्यवस्था बल्कि मुंबई के संतुलित विकास के लिए मील का पत्थर साबित होगा।
समय और ईंधन की बचत, वायु गुणवत्ता में होगा सुधार
मुंबई महानगरपालिका (BMC) आयुक्त एवं प्रशासक भूषण गगराणी के मार्गदर्शन में क्रियान्वित किए जा रहे इस 12.20 किलोमीटर लंबे प्रोजेक्ट को चार चरणों में विभाजित किया गया है। इसके पूर्ण होने पर पूर्व-पश्चिम उपनगरों के बीच यात्रा का समय 75 मिनट से घटकर मात्र 25 मिनट रह जाएगा, जिससे न केवल ईंधन की बचत होगी, बल्कि हर साल करीब 22,400 टन कार्बन उत्सर्जन में भी कमी आएगी।
JVLR से होगा 8.80 किमी छोटा मार्ग
अभिजीत बांगर के अनुसार यह मार्ग विशेष रूप से उत्तर मुंबई के लिए उपयोगी रहेगा और जोगेश्वरी-विक्रोळी लिंक रोड (JVLR) की तुलना में 8.80 किलोमीटर छोटा होगा। इससे ईंधन की बचत के साथ-साथ मुंबई के AQI (वायु गुणवत्ता सूचकांक) में भी सुधार आने की उम्मीद है।
अत्याधुनिक तकनीक से दो ‘जुड़ाव सुरंगों’ का निर्माण
परियोजना के तीसरे चरण में दो भाग हैं।
चरण 3 (A) : फ्लायओवर और एलिवेटेड रोटरी का निर्माण
चरण 3 (B) : गोरेगांव में दादासाहेब फाळके चित्रनगरी के पास 1.22 किमी लंबा पेटी सुरंग (कट अँड कव्हर) और बोरिवली में संजय गांधी राष्ट्रीय उद्यान के नीचे से जाने वाला 4.7 किमी लंबा जुड़ाव सुरंग होगी।
ये सुरंगें जमीन के 20 से 160 मीटर नीचे बनाई जाएंगी और हर 300 मीटर पर आपस में जुड़ी होंगी। इसमें अत्याधुनिक लाइटिंग सिस्टम, वेंटिलेशन, अग्निशमन यंत्र, सीसीटीवी, कंट्रोल रूम, पर्जन्य जलवाहिनी, और भविष्य के जलापूर्ति प्रावधान जैसे आधुनिक फीचर्स शामिल होंगे।
पर्यावरणीय शर्तों के साथ केंद्र से मिली मंजूरी
इस सुरंग निर्माण के लिए केंद्र सरकार से पहले 2 जनवरी 2024 को सैद्धांतिक (In-Principle) स्वीकृति मिली थी और 1 जुलाई 2025 को अंतिम मंजूरी प्राप्त हुई है। यह मंजूरी वन (संरक्षण और संवर्धन) अधिनियम 1980 की धारा 2 के अंतर्गत दी गई है। हालांकि भूमि BMC को सौंपी गई है, लेकिन उसका कानूनी दर्जा ‘वन क्षेत्र’ ही बना रहेगा। सुरंग संजय गांधी राष्ट्रीय उद्यान की सीमा शुरू होने से पहले भूमिगत होगा और सीमा समाप्त होते ही पुनः जमीन के ऊपर आएगा। इस निर्माण से किसी भी पेड़ या सीधे तौर पर वनभूमि को क्षति नहीं पहुंचेगी।
विकल्पीय वन रोपण योजना भी तैयार, GMLR पर कुल खर्च
वन (संरक्षण व संवर्धन) नियम 2023 की अनुसूची-2 के अनुसार वैकल्पिक वनरोपण योजना बनाई जा रही है। इसके तहत चंद्रपूर ज़िले के वसनविहीरा गांव में 14.95 हेक्टेयर और गोंडमोहाडी गांव में 4.55 हेक्टेयर क्षेत्र में वृक्षारोपण और देखरेख की जाएगी। किस परियोजना के लिए मनपा कल 12 से 14000 करोड रुपए खर्च करेगी।