मुंबई। नायगांव-जुचंद्रा डबल कॉर्ड लाइन परियोजना(Naigaon-Juchandra Double Chord Line Project)को आखिरकार 7 साल बाद मंजुरी मिल गई है इस 2018 में योजना बनाई गई थी, को आखिरकार केंद्र सरकार से 176 करोड़ रुपये की मंजूरी से 6 किमी लंबा कार्ड डबल लाइन मंजूरी मिल गई है। इस परियोजना का उद्देश्य उपनगरीय सेवाओं के साथ-साथ मेल ट्रेनों के संचालन को सुगम बनाना है। लेकिन सवाल यह है कि क्या यह मंजूरी कई सालों की देरी के बाद पर्याप्त है, या फिर यह एक और अधूरी योजना साबित होगी?
यह परियोजना वसई और पनवेल के बीच ट्रेनों की यात्रा को और आसान बनाने के लिए महत्वपूर्ण मानी जा रही थी। वर्तमान में, लाइन बदलने की प्रक्रिया के दौरान इंजन को बदलना पड़ता है, जिससे समय और संसाधनों की बर्बादी होती है। यह नई डबल कॉर्ड लाइन इस प्रक्रिया को खत्म करने में मदद करेगी, जिससे ट्रेनों का संचालन तेज और कुशल हो सकेगा। लेकिन इतनी देरी से मिली इस मंजूरी के बावजूद क्या परियोजना अपने समय पर पूरी हो पाएगी?
बता दें की वसई से कोंकण और अन्य क्षेत्रों में जाने वाली ट्रेनों के लिए यह मार्ग बहुत महत्व रखता है। पिछले कई सालों से गणेशोत्सव के दौरान मुम्बई सेंट्रल कई स्पेशल ट्रेन कोंकण के लिए चलाई जाती है। इन ट्रेनों को वसई जाकर रूट चेंज के दौरान रिवर्स लिया जाता है। इस समय इंजन बदला जाता है। जिसके वजह से काफी समय लगता है। इसका असर उपनगरीय सेवाओं पर पड़ता है।