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Bombay High Court ask Railway : हर दिन 10 यात्रियों की मौत! हाईकोर्ट ने मुंबई लोकल में सुरक्षा पर उठाए गंभीर सवाल, रेलवे से मांगा ठोस एक्शन प्लान

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जो इंडिया / मुंबई। मुंबई की उपनगरीय रेल सेवाओं (Mumbai suburban train services) में प्रतिदिन हो रही यात्रियों की मौतों को लेकर बॉम्बे हाईकोर्ट (Bombay high court)

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 ने शुक्रवार को कड़ा रुख अपनाया। 9 जून को मुंब्रा स्टेशन के पास हुई एक दर्दनाक दुर्घटना के बाद अदालत ने इस विषय पर स्वतः संज्ञान लेते हुए रेलवे प्रशासन से जवाब मांगा है कि वह यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए क्या कदम उठा रहा है और कब तक उन्हें अमल में लाया जाएगा।

🚆 हाईकोर्ट ने जताई गहरी चिंता: “दुनिया की सबसे खतरनाक लोकल यात्रा!”

मुख्य न्यायाधीश आलोक अराधे और न्यायमूर्ति संदीप मारणे की पीठ ने इस बात पर चिंता जताई कि मुंबई लोकल यात्रा के दौरान मृत्यु दर 38.08 प्रतिशत बताई गई है, जो वैश्विक स्तर पर सबसे अधिक है। अदालत ने टिप्पणी की कि “मुंबई के नागरिकों को मवेशियों की तरह यात्रा करने पर मजबूर किया जा रहा है, यह बेहद शर्मनाक है।”

📉 रेलवे का बचाव: मौतों में 46% की कमी का दावा

रेलवे ने अदालत में दावा किया कि पिछले 15 वर्षों में लोकल यात्रा के दौरान होने वाली मौतों में 46% की गिरावट आई है। लेकिन अदालत ने स्पष्ट किया कि प्रतिदिन 10 यात्रियों की मौत कोई सामान्य बात नहीं और इसे गंभीरता से लेना जरूरी है।

🚪 सवाल उठे स्वचालित दरवाजों पर: अब तक क्यों नहीं?

कोर्ट ने पूछा कि अभी तक साधारण लोकल ट्रेनों में स्वचालित दरवाजे क्यों नहीं लगाए गए। रेलवे ने जवाब दिया कि रेल मंत्री ने हाल ही में घोषणा की है कि अब साधारण लोकल ट्रेनों में भी स्वचालित दरवाजे लगाए जाएंगे। लेकिन कोर्ट ने पूछा — “घोषणा कब लागू होगी?”

📌 हाईकोर्ट ने मांगा कार्ययोजना का विवरण:

अदालत ने रेलवे को आदेश दिया है कि वह एक स्पष्ट एक्शन प्लान प्रस्तुत करे, जिसमें बताए जाए:

भीड़ नियंत्रित करने के लिए कौन से उपाय होंगे

यात्रियों को ट्रेनों से गिरने से कैसे रोका जाएगा

स्वचालित दरवाजे कब तक लगेंगे

कौन-कौन से स्टेशन अति-जोखिम वाले माने गए हैं

🧾 पिछले साल 3588 मौतें: रेलवे का ही आंकड़ा

रेलवे द्वारा प्रस्तुत हलफनामे में बताया गया कि 2023 में मुंबई लोकल ट्रेनों में यात्रा के दौरान 3,588 यात्रियों की मौत विभिन्न कारणों से हुई थी। इस पर अदालत ने विसंगतियों की ओर भी इशारा किया और कहा कि “रेलवे की सुरक्षा नीति में गंभीर खामियां हैं।”

🔍 कोर्ट करेगी निगरानी, अगली सुनवाई में देना होगा अपडेट

अदालत ने स्पष्ट किया कि इस मामले की निगरानी वह स्वयं करेगी और रेलवे को अगली सुनवाई में यह बताना होगा कि उसने क्या किया और क्या नहीं। कोर्ट ने सख्त लहजे में कहा, “घोषणाएं नहीं, परिणाम चाहिए।”

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