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उत्पादन में कमी के आसार के चलते गैर-बासमती चावल पर लगा निर्यात शुल्क लगा

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नवी मुंबई ।कॉन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के महाराष्ट्र प्रदेश के महामंत्री एवं अखिल भारतीय खाद्य तेल व्यापारी महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष शंकर ठक्कर ने बताया कि सरकार ने खुदरा दाम को काबू में रखने और घरेलू आपूर्ति बढ़ाने के इरादे से टूटे चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया है। मौजूदा खरीफ सत्र में धान की बुवाई के रकबे में कमी आने के कारण इस साल चावल उत्पादन में 1.0-1.2 करोड़ टन को गिरावट आने के अनुमान के बीच यह कदम उठाया गया है। इसके अलावा सरकार ने निर्यात को हतोत्साहित करने के लिए गैर-बासमती चावल पर 20 प्रतिशत सीमा शुल्क भी लगा दिया है। हालांकि उसना चावल को इससे बाहर रखा गया है।

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केंद्रीय खाद्य सचिव सुधांशु पांडे ने शुक्रवार को यह को इन फैसलों की जानकारी दी। उन्होंने टूटे चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगाए जाने की वजह बताते हुए कहा कि बहुत बड़े पैमाने पर टूटे चावल की खेप बाहर भेजी जाती है। इसके अलावा पशु चारे के लिए भी समुचित मात्रा में टूटा चावल उपलब्ध नहीं है। इसका इस्तेमाल एथनॉल में मिलाने के लिए भी किया जाता है। चीन के बाद चावल उत्पादन में दूसरे स्थान पर मौजूद भारत इस खाद्यान्न के वैश्विक व्यापार में 40 प्रतिशत हिस्सेदारी रखता है। वित्त वर्ष 2021-22 में भारत ने 2.12 करोड़ टन चावल का निर्यात किया था जिसमें से 39.4 लाख टन बासमती किस्म का चावल था विदेश व्यापार महानिदेशालय (ए) की तरफ से बृहस्पतिवार को जारी अधिसूचना के मुताबिक, टूटे हुए चावल के लिए निर्यात नीति को मुक्त से संशोधित कर प्रतिबंधित कर दिया गया है। यह अधिसूचना शुक्रवार से प्रभावी हो गई है। खाने का कि 2021-22 में भारत ने 38.9 लाख टूटे का निर्यात किया था जो वर्ष 2018-19 के 12.2 लाख टन की तुलना में बहुत अधिक है। चीन ने पिछले वित्त वर्ष में 15.6 लाख टन टूटे चावल का आयात किया था। चालू वर्ष के पहले पांच महीनों (अप्रैल-अगस्त) में देश से टूटे हुए चावल का निर्यात 21.3 लाख टन हो गया है जबकि एक साल पहले की समान अवधि में यह 15.8 लाख टन था विस वर्ष 2018-19 की समान अवधि में यह सिर्फ 51,000 टन था।

टूटे चावल के निर्यात में 42 गुना वृद्धि देखी गई है। यह न सिर्फ निर्यात में असामान्य वृद्धि है यह काफी ज्यादा असामान्य है। उन्होंने क वित्त वर्ष के पहले पांच महीनों में कुल चावल निर्यात में टूटे चावल का अनुपात बढ़कर 22.78 प्रतिशत गया है जो वर्ष 2019-20 को समान अवधि में सिर्फ 1.34 प्रतिशत पर था। खाद्य सचिव ने कहा कि उन चावल को छोड़कर बाकी सभी गैर-बासमती चावल के निर्यात पर 20 प्रतिशत शुल्क लगाने से स्तर पर चावल की कीमतों को काबू करने में मदद मिलेगी। चावल की थोक कीमतें एक साल में करीब आठ प्रतिशत बढ़कर 3.291 रुपए प्रति क्विंटल हो चुकी है। सरकार की तरफ से टूटे चावल के निर्यात पर रोक और गैर-बासमती चावल पर सीमा शुल्क लगाने का फैसला असल में इस साल उत्पादन कम रहने की आशंका का नतीजा है। कुछ राज्यों में अच्छ बारिश नहीं होने से धान की बुआई का रकबा 5.62 प्रतिशत घटकर 383.99 लाख हेक्टेयर रह गया है।शंकर ठक्कर ने सरकार के इस फैसले का समर्थन करते हुए कहा इस फैसले से भारत में चावल के दाम काबू में रहेंगे और अन्य चीजों के दाम बढ़ने से महंगाई की मार झेल रही आम जनता को महंगे दामों पर चावल खरीदने पर मजबूर नहीं होना होगा ।

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