जो इंडिया / नई दिल्ली: देश की सबसे बड़ी स्कूली शिक्षा बोर्ड सीबीएसई (Central board of secondary education
बोर्ड के परीक्षा नियंत्रक संयम भारद्वाज (Board’s examination controller Sanyam Bhardwaj) ने इस फैसले की पुष्टि करते हुए बताया कि यह निर्णय नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP 2020) के उद्देश्यों के अनुरूप लिया गया है, जिसका लक्ष्य विद्यार्थियों पर से परीक्षा का अनावश्यक बोझ हटाना और शिक्षा प्रणाली को अधिक लचीला बनाना है।
📅 दो चरणों में होंगी परीक्षा:
नई प्रणाली के अनुसार, पहली बोर्ड परीक्षा फरवरी में आयोजित की जाएगी जो सभी छात्रों के लिए अनिवार्य होगी, जबकि दूसरी परीक्षा मई में होगी जो छात्रों के लिए वैकल्पिक (Optional) रहेगी। यानी यदि कोई छात्र फरवरी में अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाता है तो वह मई में दोबारा परीक्षा देकर अपने अंकों में सुधार कर सकेगा।
📢 यह होंगे मुख्य नियम:
पहला चरण अनिवार्य, दूसरा वैकल्पिक।
आंतरिक मूल्यांकन सिर्फ एक बार होगा, पूरे सत्र में।
छात्रों को गणित, विज्ञान, सामाजिक विज्ञान और भाषाओं में प्रदर्शन सुधारने का मिलेगा अवसर।
परिणाम क्रमशः अप्रैल और जून में जारी किए जाएंगे।
शीतकाल में बंद स्कूलों को किसी भी एक चरण में परीक्षा देने का विकल्प मिलेगा।
⚠️ इन छात्रों को नहीं मिलेगा दोबारा मौका:
बोर्ड ने यह भी स्पष्ट किया है कि जो छात्र पहली परीक्षा में तीन या उससे अधिक विषयों में शामिल नहीं होते, उन्हें दूसरी परीक्षा देने की अनुमति नहीं मिलेगी। ऐसे छात्रों को ‘पुनरावृत्ति’ श्रेणी में डाला जाएगा और उन्हें अगली साल की परीक्षा में दोबारा बैठना होगा।
🎯 खिलाड़ियों और विशेष छात्रों को राहत:
उन छात्रों को जो खेल प्रतियोगिताओं में भाग लेने के कारण परीक्षा में शामिल नहीं हो पाते, उन्हें उनके विषयों के लिए दूसरे चरण में बैठने की अनुमति दी जाएगी। वहीं, कम्पार्टमेंट आने वाले छात्रों को भी दूसरी परीक्षा में शामिल होने का विकल्प मिलेगा।
❌ अतिरिक्त विषयों पर रोक:
एक बार 10वीं पास करने के बाद छात्र नए विषय या स्टैंडअलोन विषय नहीं ले सकेंगे। यह फैसला छात्रों को फोकस में रखने और पाठ्यक्रम को संतुलित बनाए रखने के उद्देश्य से लिया गया है।
🧠 विशेषज्ञों की राय:
शिक्षाविदों और मनोवैज्ञानिकों ने सीबीएसई के इस फैसले को ‘छात्र हित में ऐतिहासिक कदम’ बताया है। उनका मानना है कि इससे छात्र ज्यादा आत्मविश्वास से परीक्षा देंगे और बार-बार की तैयारी का तनाव कम होगा।
📜 फरवरी 2025 में हुआ था ड्राफ्ट जारी:
गौरतलब है कि सीबीएसई ने इस बदलाव के लिए फरवरी 2025 में ही मसौदा प्रस्ताव तैयार कर लिया था और उसके बाद देशभर से शिक्षकों, छात्रों और अभिभावकों की राय मांगी गई थी। बहुमत की सहमति मिलने के बाद इसे अब आधिकारिक रूप से लागू किया जा रहा है।