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महाराष्ट्र के मंत्रियों को क्यों नहीं चाहिए इलेक्ट्रिक वाहन ?

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प्रधानमंत्री के सपनों पर पर अमल करते हुए तत्कालीन महाविकास आघाडी सरकार ने इलेक्ट्रिक वाहन नीति लाई थी। इस नीति के तहत भविष्य में सरकार के लिए खरीदे जाने वाले सभी वाहन इलेक्ट्रिक होंगे। ऐसा नीतिगत निर्णय लिया गया था। ताकि ईंधन का बचत के साथ पर्यावरण को भी बचाया जा सके। परंतु शिंदे फडणवीस सरकार के मंत्रियों ने इलेक्ट्रिक वाहन नहीं चाहिए, ऐसा पत्र सरकार को दिया है। मंत्रियों के इस पत्र के बाद यहां ईडी सरकार के मंत्रियों ने मोदी के सपनों पर पानी फेर दिया है, वहीं राज्य में पर्यावरण पूरक नीति की भी धज्जियां उड़ा दी है। मंत्रियों के उक्त पत्र में बाद  राज्य सरकार की तिजोरी पर महंगी गाड़ी खरीदने का भी भार पड़ेगा।
राज्य में पर्यावरण व वातावरणीय परिवर्तन विभाग महाराष्ट्र इलेक्ट्रिक वाहन नीति 2021 को मान्यता दी गई थी। 31 मार्च 2025 तक नीति शुरू रहेगी। इसमें बैटरी पर  दो पहिया, 3 पहिया और चार पहिया वाहनों को खरीदी प्रोत्साहन रकम देने का निर्णय हुआ था। बैटरी पर चलने वाले वाहनों के लिए योजना, चार्जिंग स्टेशन की संख्या निश्चित की गई है। 1 जनवरी 2022 तक सरकारी व अन्य सरकारी कार्यालयों सहित स्थानीय स्वराज्य संस्थाओं में खरीदी किए जाने वाले सभी वाहन इलेक्ट्रिक होंगे, ऐसा निर्णय लिया गया था।
सरकारी बेड़े केवल सात इलेक्ट्रिक वाहन
वर्तमान समय में सरकारी बेड़े में केवल 7 इलेक्ट्रिक वाहन है जिसमें एक प्रधान सचिव दर्जा के वरिष्ठ अधिकारी इलेक्ट्रिक वाहन का उपयोग कर रहे हैं बाकी इलेक्ट्रिक वाहन उप सचिव सचिव पद के अधिकारी उपयोग कर रहे हैं, वास्तविकता यह है कि 1 घंटे के अंदर वाहन की पूरी बैटरी चार्ज हो जाती है इसके बावजूद भी सरकारी अधिकारी इलेक्ट्रिक वाहन को प्रधानता नहीं दे रहे हैं। नए सरकार के मंत्री चार्जिंग स्टेशन ना होने के कारण इलेक्ट्रिक वाहन लेने से इंकार कर रहे हैं।
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