मुंबई। मुख्यमंत्री लाडकी बहन योजना (Chief Minister’s Ladki Behen Yojana) के लाभार्थियों की संख्या में कटौती की संभावनाओं ने लाभार्थी महिलाओं की चिंता बढ़ा दी है। फडणवीस सरकार ने पात्रता सुनिश्चित करने के लिए दस्तावेज़ों की गहन जांच शुरू की है। इस प्रक्रिया से लगभग 50 लाख महिलाओं के योजना से बाहर होने का दावा किया जा रहा है।
दस्तावेज़ जांच का दायरा बढ़ा
महिलाओं के वार्षिक आय, वाहन स्वामित्व, भूमि स्वामित्व, और अन्य सरकारी योजनाओं के लाभ से संबंधित दस्तावेज़ों की गहन जांच हो रही है। हमीपत्र (शपथ पत्र) में दी गई जानकारी को सत्यापित किया जा रहा है। गांव, तहसील और जिला स्तर पर जांच प्रक्रिया तेज़ कर दी गई है।
आधार आधारित सत्यापन
आधार कार्ड आधारित प्रमाणीकरण प्रणाली का उपयोग किया जा रहा है।ई-केवाईसी के माध्यम से लाभार्थियों की पहचान और पात्रता का सत्यापन किया जा रहा है।
अपात्र घोषित किए जाने के संभावित कारण
आय सीमा से अधिक होना।वाहन या भूमि स्वामित्व।अन्य सरकारी योजनाओं से पहले से लाभान्वित होना।
विपक्ष का दावा
कांग्रेस नेता सचिन सावंत ने कहा कि सरकार की इस पहल से 50 लाख से अधिक महिलाएं योजना से बाहर हो सकती हैं। उन्होंने इसे “लाभार्थियों को परेशान करने वाली प्रक्रिया” बताया।
सरकार का उद्देश्य:
राज्य सरकार का कहना है कि इस सत्यापन का उद्देश्य सही लाभार्थियों की पहचान करना है ताकि योजना का लाभ केवल पात्र महिलाओं तक पहुंचे।
लाभार्थियों की चिंताएं:
दस्तावेज़ जुटाने और सत्यापन प्रक्रिया में लगने वाला समय।
योजना से बाहर होने की आशंका।
प्रक्रिया के लिए ग्रामीण और आर्थिक रूप से कमजोर महिलाओं को हो रही परेशानियां।
क्या है सत्यापन प्रक्रिया वाकई में पात्र लाभार्थियों की पहचान करेगी या जरूरतमंद महिलाओं के लिए और मुश्किलें खड़ी करेगी?
50 लाख महिलाओं के योजना से बाहर होने का अनुमान कितना सही है?
सरकार और विपक्ष के बीच बढ़ती इस खींचतान के बीच योजना का भविष्य क्या होगा, यह देखना बाकी है।