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Toilet problem: छात्राओं के शौचालय पर संकट , योजना बद्ध 787 शौचालय में से एक का भी काम नहीं पूरा

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मुंबई। समग्र शिक्षा अभियान के तहत वित्त वर्ष 2022-23 में महाराष्ट्र (maharashtra) के स्कूलों के बुनियादी निर्माण कार्यों समेत छात्राओं के लिए शौचालय (toilet) के काम को पूरा नहीं किया गया है। इसका खुलासा खुद केंद्र सरकार ने लोकसभा में एक प्रश्न का जवाब देते हुए किया। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के सांसद सुनील तटकरे द्वारा पूछे गए सवालों के जवाब में केंद्र सरकार द्वारा जानकारी दी गई है, जिसमें राज्य की ईडी सरकार की करामात एक बार फिर से जग जाहिर हुई है। केंद्र की तरफ से जारी की गई जानकारी से पता चला है कि ईडी सरकार द्वारा प्रदेश के सरकारी स्कूलों में इस वर्ष 787 छात्राओं के लिए शौचालय बनाने की योजना थी। इसके तहत 294 शौचालयों का निर्माण कार्य शुरू भी हो गया है, लेकिन दिसंबर तक उनमें से एक का भी काम पूरा नहीं हो सका है। इसी तरह 635 स्कूलों में विद्युतीकरण और सोलर पैनल लगाने की योजना में अभी तक कोई प्रगति नहीं हुई है।

उल्लेखनीय है कि समग्र शिक्षा अभियान केंद्र प्रायोजित फ्लैगशिप योजना है, जिसे तीन सरकारी कार्यक्रमों यानी सर्व शिक्षा अभियान, राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान और शिक्षक शिक्षा को समाहित करके शुरू किया गया था। यह देश भर में लगभग 14 लाख सरकारी स्कूलों में बुनियादी ढांचे और शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के लिए एक महत्वपूर्ण योजना है। हालांकि समग्र शिक्षा अभियान योजना का 60 फीसदी खर्च केंद्र, जबकि शेष राज्य सरकारों द्वारा वहन किया जाता है

देरी से मिली समग्र शिक्षा अभियान निधि

समग्र शिक्षा के राज्य परियोजना निदेशक कैलाश पगारे के मुताबिक इस वर्ष केंद्र सरकार द्वारा राज्य को निधि जारी करने में देरी किया है। इसलिए काम की रफ्तार धीमी गति से हुई है। उनके अनुसार शिक्षा मंत्रालय के तहत परियोजना अनुमोदन बोर्ड आमतौर पर राज्यों के लिए वार्षिक कार्य योजना और बजट को मंजूरी देता है। साथ ही निधि अगस्त अथवा सितंबर में जारी किया जाता है। हालांकि इस साल प्रक्रिया में देरी हुई है। राज्य सरकार को अभी एक पखवाड़े पहले ही पैसा मिला है। फिलहाल रुके निर्माण कार्यों को चालू वित्त वर्ष में पूरा कर लिया जाएगा।

पैसे के अभाव में अटकी योजनाएं

केंद्र सरकार की तरफ से दी गई जानकारी से पता चला है की राज्य में अभी भी स्कूलों के बुनियादी ढांचे से संबंधित कई कार्यों को पूरा नहीं हो सका है। पिछले वर्ष स्कूलों के मंजूर 2,502 बड़ी मरम्मत कार्यों में से केवल 1,370 ही पूरे हो सके हैं, जबकि 543 कार्य प्रगति पर हैं। पगारे के अनुसार समग्र शिक्षा अभियान के तहत निर्माण कार्यों के लिए आवंटित पूंजीगत व्यय अपर्याप्त रहा है। जिला परिषदों और जिला सेस सहित विभिन्न स्रोतों से निधि एकत्र करने की आवश्यकता है। लटके कार्यों के लिए धन की कमी ही एकमात्र कारण है। पगारे के अनुसार केंद्र ने जनवरी में राज्य भर के लगभग 17,000 स्कूलों में रुकीं बुनियादी ढांचे के कार्यों को पूरा करने के लिए 597 करोड़ रुपए की जरूरत है, जिसके लिए केंद्र का हिस्सा एक महीने में जारी होने की संभावना है।

जानकारों के अनुसार केंद्र सरकार समग्र शिक्षा अभियान जैसी प्रमुख योजनाओं पर खर्च को प्रभावी ढंग से कम कर रही है, जो स्कूलों में छात्रों की उपस्थिति और पढ़ाई को प्रभावित करने का कारण बन रहा है। सरकार द्वारा हाल ही में जारी आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट से पता चलता है कि सरकारी स्कूलों को इंटरनेट और कंप्यूटर जैसी सुविधाओं की सख्त जरूरत है। खराब इंफ्रा के चलते सरकारी स्कूलों में छात्रों की संख्या अनुमान से बहुत कम है।

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