जो इंडिया / मुंबई: भारत में तंबाकू और सुपारी (Tobacco and betel nut in India)
कड़वी सच्चाई:
हर साल भारत में 77,000 नए मामले, जिनमें से 52,000 लोगों की मौत
सर्वाइवल रेट केवल 50% — यानी हर दूसरा मरीज नहीं बच पाता
यह दर विकसित देशों के मुकाबले काफी कम है
कारण क्या हैं?
शहरी और ग्रामीण इलाकों में तंबाकू की खपत में इजाफा
सस्ती और आसानी से मिलने वाली सुपारी, गुटखा, खैनी और शराब
स्वास्थ्य जांच और जागरूकता की भारी कमी
खास चिंता की बात:
31 से 50 साल के लोग तेजी से इस बीमारी की चपेट में आ रहे हैं
तंबाकू सेवन करने वालों में मुंह का कैंसर होने का खतरा सामान्य से 6-7 गुना ज्यादा
पोषण की कमी और समय पर जांच न होना खतरा बढ़ाते हैं
चिकित्सकों की सलाह:
30 वर्ष की उम्र पार कर चुके सभी लोगों को स्क्रीनिंग करवाना चाहिए, खासकर जो तंबाकू का सेवन करते हैं
तंबाकू की कीमत सिर्फ पैसों में नहीं, ज़िंदगी में चुकानी पड़ती है
जीवनशैली में बदलाव और शुरुआती जांच ही बचाव का सबसे मजबूत तरीका है