जो इंडिया / ठाणे:
रिपोर्ट में बताया गया है कि तेज़ हॉर्न, भारी ट्रैफिक, निर्माण स्थलों का शोर और लाउडस्पीकर से बजने वाला तेज़ संगीत इसके प्रमुख कारण हैं। विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि यदि समय रहते उपाय नहीं किए गए, तो शहरवासियों की सुनने की क्षमता पर स्थायी प्रभाव पड़ सकता है और यहां तक कि कान के पर्दे फटने जैसी स्थिति भी उत्पन्न हो सकती है।
ये इलाके घोषित हुए ‘ध्वनि प्रदूषण हॉटस्पॉट’:
कैडबरी जंक्शन, नितिन कंपनी, मुलुंड चेकपॉइंट, शास्त्री नगर, उपवन बस डिपो, गावदेवी, ब्रह्मांड, शिलफाटा, कल्याण फाटा, जांभली नाका, दिवा डंपिंग ग्राउंड, कलवा सब्जी मंडी, सतीस और नौपाड़ा—इन सभी स्थानों पर शोर का स्तर औसतन 70 से 71.5 डेसिबल के बीच दर्ज किया गया।
स्वास्थ्य पर असर:
विशेषज्ञों का कहना है कि लगातार तेज़ ध्वनि में रहने से सिरदर्द, तनाव, नींद न आना, सुनने की क्षमता में कमी और बच्चों में मानसिक विकास में बाधा जैसी गंभीर समस्याएं हो सकती हैं।
मनपा पर उठे सवाल:
स्थानीय नागरिकों ने ठाणे महानगरपालिका से सवाल किया है कि आखिर इस गंभीर समस्या से निपटने के लिए अब तक ठोस कदम क्यों नहीं उठाए गए। रिपोर्ट में भी सुझाव दिया गया है कि मनपा को ‘नो हॉर्न ज़ोन’, निर्माण स्थलों के लिए समय-सीमा, और ध्वनि सीमा निगरानी जैसे ठोस उपाय करने की आवश्यकता है।
सरकारी पहल की मांग:
सामाजिक संगठनों और पर्यावरण कार्यकर्ताओं ने सरकार से अपील की है कि ध्वनि प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए एक व्यापक नीति लागू की जाए और आम जनता में इसके प्रति जागरूकता फैलाई जाए।