जो इंडिया / मुंबई: महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) प्रमुख राज ठाकरे (chief raj thackeray
राज ठाकरे ने इस कदम को मराठी भाषा और महाराष्ट्र की सांस्कृतिक पहचान पर हमला करार दिया है। उनका कहना है कि यह नीतिगत फैसला “हिंदी भाषा थोपने” की कोशिश है, जिससे मराठी भाषी विद्यार्थियों के ऊपर एक अतिरिक्त बोझ डाला जा रहा है।
मोर्चे की खास बातें:
यह आंदोलन राजनीतिक झंडों और नारों से मुक्त रहेगा।
मोर्चे में केवल मराठी जन भाग लेंगे, और यह एक भाषाई अस्मिता की लड़ाई होगी।
आंदोलन में स्कूल-कॉलेज के विद्यार्थी, सांस्कृतिक संगठन, और सामान्य नागरिकों से बड़ी भागीदारी की अपेक्षा है।
इस मोर्चे को लेकर राज ठाकरे ने शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) प्रमुख उद्धव ठाकरे से भी संपर्क किया है। दोनों नेताओं के प्रतिनिधियों के बीच बातचीत के बाद यह तय किया गया कि मराठी भाषा को लेकर सभी दलों को एक मंच पर आना चाहिए। हालांकि, कुछ रिपोर्टों के अनुसार उद्धव गुट अब भी 7 जुलाई को अलग मोर्चा निकालने पर विचार कर रहा है।
राज ठाकरे ने कहा—
> “हमें अपनी भाषा की रक्षा करनी है। यह सिर्फ हिंदी के विरोध की बात नहीं है, यह मराठी के सम्मान और अस्तित्व की लड़ाई है। अगर आज हम चुप रहे, तो कल हमारी आनेवाली पीढ़ियां हमें माफ नहीं करेंगी।”
राज्य सरकार की नई तीन-भाषा नीति के तहत अब महाराष्ट्र के सभी स्कूलों में हिंदी को तीसरी भाषा के रूप में लागू किया जा रहा है। इसे लेकर मराठी भाषा प्रेमियों में नाराज़गी बढ़ती जा रही है।
मुंबई पुलिस ने मोर्चे के मद्देनजर सुरक्षा व्यवस्था बढ़ाने की तैयारी कर ली है। पूरे रूट पर ड्रोन निगरानी, CCTV, और भारी पुलिस बंदोबस्त रहेगा। अनुमान है कि इस मोर्चे में 50,000 से ज्यादा लोग शामिल हो सकते हैं।