मुंबई। रक्षाबंधन भाई और बहन के अटूट प्रेम का पर्व है। इस दिन बहन अपने भाई के कलाई पर राखी बांधकर जीवन भर रक्षा करने का वचन लेती हैं। इसके बाद भाई अपने स्वेच्छा से बहन को उपहार देता है। लेकिन मुंबई में एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसमें रक्षाबंधन के पहले भाई ने नहीं, बल्कि बहन ने तो तोहफा दिया है। बहन ने अपने मरते हुए भाई को एक किडनी दान करके इस प्रेम के प्रतीक को और अनूठा बनाते हुए मिशाल पेश किया है।
मिली जानकारी के अनुसार मुंबई निवासी 41 वर्षीय मेघराज कपाडने पेशे से आईटी प्रोफेशनल हैं। वे कोविड के बाद से ही होम वर्क कर रहे थे। इसके साथ ही उनकी जिंदगी खुशहाली में बीत रही थी। वे अपने पांच साल के बेटे की परवरिश में पूरी तरह से मग्न थे। इसी बीच उन्हें अचानक बार-बार तेज सिरदर्द होने लगा। डॉक्टरों को दिखाने पर उन्हें जांच की सलाह दी गई। सामान्य मेडिकल जांच में जब कोई गड़बड़ी नहीं दिखी, तो उन्हें नेफ्रोलॉजिस्ट के पास रेफर कर दिया गया। इसके बाद पता चला कि वे किडनी की समस्या से जूझ रहे हैं। इसके बाद दवाओं और डाइट का प्लान बनाया गया। पर उनकी हालत लगातार बिगड़ती चली गई। ऐसे में मेघराज ने फोर्टिस अस्पताल में डॉक्टरों को दिखाया। डॉक्टरों को पता चला कि उनकी दोनों किडनी ने काम करना बंद कर दिया है। इसके बाद उन्हें डायलिसिस कराने की सलाह दी। हालांकि, जब डायलिसिस का मेघराज के दिमाग और शरीर पर बुरा असर होने लगा, तब उन्हें किडनी ट्रांसप्लांट की सलाह दी गई।
जांच में सामने नहीं आ रहा था पिछला कारण
नेफ्रोलॉजी के डायरेक्टर और किडनी ट्रांसप्लांट फिजिशियन डॉ. हरेश डोडेजा ने कहा कि शुरूआत में उन्हें स्टेरॉइडस की जो खुराक दी गई थी, उससे उनके क्रिएटिनिन को सही स्तर पर लाने में मदद मिली। उन्होंने कहा कि उनकी स्थिति के पीछे का कारण जांच में सामने नहीं आ रहा था। उनकी स्थिति का कारण बचपन में मिला कोई संक्रमण हो सकता था, जो उनके शरीर में रह गया और गुजरते वक्त के साथ उनकी किडनी को नुकसान पहुंचाता रहा। यह इतना धीरे-धीरे होता है कि इसका आसानी से पता नहीं चल पाता है। यह आम बात है, क्योंकि लोग नियमित रूप से जांच नहीं करवाते हैं। इसलिए इसका पता लगाना कठिन हो जाता है।
किडनी दान के लिए आगे आई बहन
मरीज की बहन 47 वर्षीय संजना शेकर पनपाटिल अपने भाई की जान बचाने के लिए खुद आगे आई और किडनी दान करने पर सहमति जताई। इसके बाद मेघराज का किडनी ट्रांसप्लांट सफलतापूर्वक पूरा हुआ। ट्रांसप्लांट के बाद डोनर और रेसिपियेंट, दोनों ही सामान्य जीवन जीने लगे हैं। संजना टीचिंग के काम पर लौट चुकी हैं और मेघराज हर रोज तहेदिल से अपनी बहन का आभार जताते हैं।
मेरे लिए बहुत खास है यह रक्षाबंधन
मेघराज ने कहा कि ट्रांसप्लांट के बाद की स्थिति मेरे परिवार के लिए परीक्षा की घड़ी थी, क्योंकि मुझे तीन महीने तक बेड रेस्ट पर रखा गया। लेकिन अब मैं ठीक हो चुका हूं। मेरी बहन का उनकी हिम्मत और उनके परिवार का पूरी प्रक्रिया में सहयोगी बने रहने के लिए जितना धन्यवाद किया जाए, कम होगा। यह रक्षाबंधन मेरे लिए विशेष रूप से बहुत खास है।