जो इंडिया / मुंबई। देश की आर्थिक राजधानी मुंबई (Mumbai is the financial capital of the country) की जीवनरेखा मानी जाने वाली लोकल ट्रेनें अब “मौत की पटरी” बनती जा रही हैं। सोमवार सुबह दिवा-मुंब्रा रेलखंड पर हुए एक दर्दनाक हादसे में पाँच लोगों की जान चली गई, जबकि तीन गंभीर रूप से घायल हैं। चलती लोकल ट्रेन में जगह न मिलने के कारण यात्री दरवाजों से लटककर सफर कर रहे थे, तभी सामने से आती एक दूसरी तेज़ रफ्तार लोकल से टकराकर कई यात्री नीचे गिर पड़े।
यह हादसा कोई पहला नहीं है — पिछले 20 वर्षों में मुंबई लोकल में 51,000 से अधिक यात्रियों की मौत हो चुकी है। रेलवे प्रशासन की ओर से बार-बार सुरक्षा की बातें की जाती हैं, मगर हादसे थमने का नाम नहीं ले रहे।
🚨 क्या हुआ दिवा-मुंब्रा के बीच?
यह हादसा सोमवार सुबह 9:20 बजे हुआ जब कसारा से सीएसएमटी की ओर जा रही लोकल में अधिक भीड़ थी। कुछ यात्री फुटबोर्ड (दरवाजे पर) लटककर यात्रा कर रहे थे। तभी सामने से आ रही एक दूसरी लोकल से टकराकर आठ लोग नीचे गिर गए। उनमें से पाँच की घटनास्थल पर ही मौत हो गई और तीन घायल हैं। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, हादसा इतना तेज था कि यात्रियों को बचने का मौका तक नहीं मिला।
📉 बीते वर्षों में आंकड़े चौंकाने वाले हैं
रेलवे द्वारा हाई कोर्ट में दाखिल हलफनामे के अनुसार,
मध्य रेलवे पर 29,321
पश्चिम रेलवे पर 22,481 यात्रियों की मौत हुई है।
कुल मिलाकर 51,802 यात्रियों की मौतें हुई हैं, जिनमें ज़्यादातर मौतें गिरने, पटरी पार करते समय, या भीड़ की वजह से होती हैं।
🧾 रेलवे का दावा बनाम हकीकत
रेलवे का कहना है कि पिछले वर्षों में मृत्युदर में कमी आई है। 2009 में जहाँ 1,782 मौतें हुई थीं, वहीं 2023 में यह संख्या 1,221 रही। लेकिन यह आंकड़े भी एक गहरी चिंता पैदा करते हैं कि हर साल हजारों लोग लोकल में सफर करते हुए जान गंवा रहे हैं।
⚠️ प्रशासन पर सवाल
मुंबई में लोकल ट्रेनें जीवन रेखा हैं, मगर सुरक्षा के मामले में यह लाचार साबित हो रही हैं।
भीड़ नियंत्रण
दरवाजों की ऑटोमेटिक सुरक्षा
गार्ड और सीसीटीवी की निगरानी

1. Mumbai Local Train Accident
जैसे उपायों पर ध्यान नहीं दिया जा रहा। हर हादसे के बाद मुआवजा और जांच की औपचारिकता पूरी कर दी जाती है, मगर ज़मीनी सुधार नजर नहीं आते।