जो इंडिया / मुंबई: महाराष्ट्र की महायुति सरकार (Maharashtra MahaYuti government) में अब अंदरूनी असंतोष की लपटें तेज़ होने लगी हैं। राज्य मंत्री अपने ही मंत्रालय में खुद को हाशिए पर महसूस कर रहे हैं — अधिकार विहीन, फैसले विहीन और पहचानविहीन। छह राज्य मंत्रियों को विभाग तो दे दिए गए, मगर निर्णय लेने का कोई हक नहीं।
यह असंतोष अब धीरे-धीरे खुलकर सामने आने लगा है। कैबिनेट मंत्रियों ने राज्य मंत्रियों को केवल नाम का दर्जा दिया है। मंत्रालय हैं, लेकिन कलम नहीं चलती। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने पहले अधिकार देने की बात कही थी, पर वह निर्देश भी सिर्फ कागज़ों तक ही सीमित रह गया।
आशिष जयस्वाल, योगेश कदम, पंकज भोयर, इंद्रनील नाइक, मेघना बोर्डिकर और माधुरी मिसाल जैसे राज्य मंत्री अब “आदरपूर्वक नजरअंदाज़” किए जा रहे हैं। दिलचस्प बात यह है कि जिन राजनीतिक दलों से ये मंत्री आते हैं, उन्हीं दलों के वरिष्ठ मंत्री इन्हें अधिकार देने से बच रहे हैं।
सूत्रों के अनुसार, कुछ राज्य मंत्री अब मुख्यमंत्री से सीधी शिकायत करने की योजना बना रहे हैं। हालांकि अभी तक किसी ने खुलकर बयान नहीं दिया, लेकिन मंत्रालयों में “सत्ता की गैरबराबरी” को लेकर नाराज़गी स्पष्ट महसूस की जा सकती है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यदि यह स्थिति बनी रही तो आने वाले समय में महायुति सरकार के भीतर गुटबाज़ी या अस्थिरता बढ़ सकती है।
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