Joindia.co.in की रिपोर्ट: ज्योति दुबे / मुंबई
राज्य परिवहन (एसटी) महामंडल में बसों की संख्या बढ़ाने की योजना सरकार बना चुकी है। इस योजना के अंतर्गत वोल्वो कंपनी की बसें एसटी के नाम पर सड़क पर उतारी जाएंगी। इन बसों को एसटी का लोगो, लाभदायक मार्ग, टिकट सेवा, एसटी के डिपो और स्टॉप्स प्रदान किए जाएंगे। इसके बदले में निजी कंपनी अपने कुल राजस्व का 10 से 12 प्रतिशत हिस्सा एसटी महामंडल को देगी। हालंकि राज्य के एसटी कर्मचारी संगठनों ने इसका विरोध किया है। उनक्त कहना है कि सरकार एसटी को निजीकरण की राह पर ले जा रही है।
इस बारे में एक अधिकारी ने बताया कि इस योजना का उद्देश्य घाटे में चल रहे एसटी महामंडल की आमदनी बढ़ाना है। एसटी के बेड़े में जल्द ही 30 शयनयान (स्लीपर) और 70 सीटिंग (बैठनेवाली), इस प्रकार कुल 100 वोल्वो बसें शामिल की जाएंगी।
एसटी महामंडल की आर्थिक स्थिति खराब हो चुकी है और उसे घाटे से बाहर निकालने के प्रयास चल रहे हैं। वर्तमान में एसटी को प्रतिदिन लगभग 34 करोड़ रुपये की आय अपेक्षित है, लेकिन हकीकत में 31.80 करोड़ रुपये ही मिल पा रहे हैं। इस वर्ष बड़ी संख्या में शादियाँ हुईं, फिर भी अपेक्षित राजस्व प्राप्त नहीं हो सका। गर्मी के सीज़न में भी कोई विशेष प्रदर्शन नहीं हुआ। किराया बढ़ाने के बावजूद एसटी की तिजोरी खाली है और यात्रियों ने भी एसटी से दूरी बनानी शुरू कर दी है। इसलिए एसटी की आय बढ़ाने के लिए नए उपाय किए जा रहे हैं।
एसटी के अधिक आय देने वाले मार्ग वोल्वो कंपनी द्वारा तय किए जाएंगे और उन मार्गों पर ये बसें चलाई जाएंगी। इन बसों का रखरखाव, ड्राइवर, कंडक्टर और अन्य कर्मचारी निजी कंपनी की ओर से होंगे, जबकि एसटी महामंडल बुनियादी सुविधाएं, टिकट सेवा और एसटी का लोगो उपलब्ध कराएगा। ऐसा दावा किया जा रहा है कि इससे यात्री इन निजी बसों में एसटी के भरोसे के साथ सफर कर सकेंगे। इसके बदले में कंपनी से एसटी को राजस्व मिलेगा और यात्रियों को आरामदायक और किफायती यात्रा का अनुभव मिलेगा।