जो इंडिया/मुंबई : महाराष्ट्र सरकार (Maharashtra’s ‘Mahayuti’ government) द्वारा शुरू की गई ‘मुख्यमंत्री मेरी लाडली बहन’ (Ladli Behna Yojana Maharashtra) योजना एक बार फिर चर्चा में है। इस योजना के अंतर्गत महिलाओं को मिलने वाली आर्थिक सहायता और बस किराए में छूट को लेकर जहां एक ओर सरकार इसे महिला सशक्तिकरण का प्रयास बता रही है, वहीं विपक्ष और कई आर्थिक विशेषज्ञ इसे ‘वोट मैनेजमेंट स्कीम’ करार दे रहे हैं।
राज्य सरकार प्रतिमाह लगभग 3800 करोड़ रुपये सीधे लाभार्थी महिलाओं के खातों में ट्रांसफर कर रही है। इसके अलावा, एसटी बसों में 50 प्रतिशत किराया छूट के लिए हर महीने 240 करोड़ रुपये एसटी महामंडल को दिए जा रहे हैं। कुल मिलाकर यह योजना सरकार पर प्रतिवर्ष 48,000 करोड़ रुपये से अधिक का आर्थिक भार डाल रही है।
राज्य के वित्त विभाग के एक अधिकारी के अनुसार, “यदि राजस्व में वृद्धि नहीं हुई तो अगले वर्ष तक यह योजना राज्य के बजट को अस्थिर कर सकती है।”
वहीं, महिलाओं के एक वर्ग ने योजना को सराहा है, उनका कहना है कि यह सहायता उन्हें आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक सकारात्मक कदम है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह योजना सीधे तौर पर महिला वोट बैंक को साधने के उद्देश्य से बनाई गई है, खासकर ग्रामीण और निम्न आय वर्ग की महिलाओं को लक्ष्य बनाकर।
परिवहन मंत्री ने हाल ही में यह आश्वासन दिया कि टिकट छूट योजना बंद नहीं होगी, लेकिन इसके वित्तीय बोझ को देखते हुए आने वाले बजट में कटौती की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता।
अब बड़ा सवाल यह है कि क्या यह योजना वास्तव में महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम है, या फिर आने वाले चुनावों को देखते हुए सरकार की एक रणनीतिक चाल?
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