मुंबई। बदलापुर में यौन उत्पीड़न(Sexual Harassment in Badlapur)की घटना के बाद स्कूली बच्चों की सुरक्षा पर सवाल उठे हैं। इस मामले पर गंभीरता दिखाते हुए हाई कोर्ट ने स्कूली बच्चों की सुरक्षा की जांच करने और जरूरी सुरक्षा उपाय सुझाने के लिए सात सदस्यीय समिति(Seven member committee)का गठन किया है। अदालत ने समिति को 29 अक्टूबर तक सुरक्षा उपायों की सिफारिशें पेश करने का आदेश दिया है।
न्यायमूर्ति रेवती मोहिते-डेरे और न्यायमूर्ति पृथ्वीराज चव्हाण की पीठ(A bench of Justice Revati Mohite-Dere and Justice Prithviraj Chavan) ने स्कूल में और स्कूल से आने-जाने के दौरान बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के उपाय सुझाने के लिए समिति का गठन किया है। कोर्ट ने राज्य सरकार द्वारा पहले से गठित समिति का विस्तार करते हुए इसमें शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के स्कूलों के प्रिंसिपलों को भी शामिल किया है, ताकि दोनों क्षेत्रों की समस्याओं का समाधान किया जा सके।समिति की अध्यक्षता सेवानिवृत्त उच्च न्यायालय की न्यायाधीश साधना जाधव और शालिनी फणसलकर-जोशी करेंगी। अन्य सदस्यों में सेवानिवृत्त आईपीएस मीरा बोरवंकर, वी.एन. सुले स्कूल की प्रिंसिपल सुचेता भावलकर, सुधागड इंस्टीट्यूट की प्रिंसिपल जयवंती सावंत, मनोचिकित्सक डॉ. हरीश शेट्टी, और महाराष्ट्र एवं गोवा के आईसीएसई और आईएससी स्कूल के अध्यक्ष ब्रायन सामोर शामिल हैं।समिति सरकार द्वारा समय-समय पर जारी सुरक्षा निर्देशों की समीक्षा करेगी और स्कूल परिसरों व स्कूल बसों में बच्चों की सुरक्षा के लिए उपाय सुझाएगी। साथ ही, पॉक्सो एक्ट और अन्य संबंधित कानूनों के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए भी सिफारिशें की जाएंगी।कोर्ट ने बदलापुर घटना के बाद सरकार द्वारा गठित समिति की सिफारिशों पर विचार करते हुए स्पष्ट किया कि सरकार को समिति की अंतिम रिपोर्ट आने तक इन सिफारिशों को लागू करना होगासमिति से उम्मीद की जा रही है कि वह स्कूलों में बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए ठोस और व्यावहारिक उपाय सुझाएगी, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकी जा सके।