- जो इंडिया / मुंबई: महाराष्ट्र ( hostel girls harassment) के छत्रपति संभाजी नगर जिले के छावनी क्षेत्र में संचालित विद्यादीप बाल सुधार गृह (Vidyadeep Children’s Reform Home operated in the cantonment area of Chhatrapati Sambhaji Nagar district) में नाबालिग लड़कियों ( hostel girls harassment) के साथ हुए अत्याचार और उत्पीड़न की शर्मनाक घटना ने पूरे राज्य को झकझोर कर रख दिया है। मामले के खुलासे के बाद विधान परिषद में विपक्ष के नेता अंबादास दानवे और अन्य नेताओं ने सरकार को कटघरे में खड़ा करते हुए दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की मांग की। इसके दबाव में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने तत्काल प्रभाव से जिला बाल विकास अधिकारी को निलंबित करने का आदेश दे दिया।Advertisement
यह मामला (hostel girls harassment) तब सामने आया जब हाल ही में छात्रावास से नौ नाबालिग लड़कियां भाग गईं और मामले की जांच के लिए गठित समिति ने अपनी रिपोर्ट में कई चौंकाने वाले खुलासे किए। रिपोर्ट में पाया गया कि छात्रावास में लड़कियों के कमरों में सीसीटीवी कैमरे लगाए गए थे, जिससे उनकी निजता का गंभीर हनन हुआ। समिति की रिपोर्ट के मुताबिक, संस्था के अधिकारियों और अधीक्षक ने पूर्व में मिली दस शिकायतों के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं की और उत्पीड़न लगातार जारी रहा।
विधान परिषद में इस मुद्दे पर जोरदार बहस के दौरान नेता प्रतिपक्ष अंबादास दानवे ने कहा कि यह घटना बेहद निंदनीय है और सीधे तौर पर जिला बाल विकास अधिकारी की जिम्मेदारी बनती है। उन्होंने आरोप लगाया कि बाल कल्याण समिति की ओर से मामले को गंभीरता से नहीं लिया गया और शिकायतों की अनदेखी की गई। उन्होंने राज्य महिला आयोग की निष्क्रियता पर भी सवाल उठाते हुए कहा कि आयोग ने इस गंभीर प्रकरण पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया।
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इस मामले पर जवाब देते हुए कहा कि जिला बाल विकास अधिकारी को तत्काल निलंबित कर दिया गया है। संस्था के अधीक्षक और अन्य जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज किया गया है। मुख्यमंत्री ने यह भी घोषणा की कि संस्था की मान्यता बिना किसी विस्तार के रद्द की जाएगी। उन्होंने कहा कि मामले की गहन जांच के लिए तीन महिला पुलिस अधिकारियों की एक अलग समिति गठित की गई है, जो अपनी रिपोर्ट गुरुवार को प्रस्तुत करेगी।
विधान परिषद में भाजपा की चित्रा वाघ ने भी अल्प सूचना प्रश्न के तहत इस मुद्दे को उठाया और दोषियों को कठोर सजा देने की मांग की। उन्होंने कहा कि इस प्रकार की संस्थाओं पर समय-समय पर कड़ी निगरानी रखने की जरूरत है ताकि बच्चों के अधिकारों का उल्लंघन न हो।
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फिलहाल इस घटना ने राज्य में बाल सुरक्षा और महिला आयोग की भूमिका पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। राष्ट्रीय महिला आयोग ने भी इस मामले का संज्ञान लिया है और स्थानीय प्रशासन को दोषियों पर सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए हैं।