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Rain impact on Maharashtra Farmers: महाराष्ट्र में तेज बारिश से बड़े पैमाने पर फसल नुकसान — सीएम फडणवीस ने स्थिति का लिया जायजा, प्रभावित क्षेत्रों में राहत-कार्य और पंचनामा शुरू

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जो इंडिया / मुंबई। (Rain impact on Maharashtra Farmers) महाराष्ट्र में लगातार हो रही तेज़ बारिश और कई स्थानों पर आई बाढ़-सी स्थिति से राज्य की कृषि को भारी नुकसान हुआ है। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस (Chief Minister Devendra Fadnavis

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) ने राज्यव्यापी स्थितियों का आकलन करते हुए बताया कि राज्य में लगभग 12–14 लाख हेक्टेयर तक की फसलों पर असर पड़ा है और कई जिलों में त्वरित राहत-कार्य चलाए जा रहे हैं।

राज्य के अलग-अलग जिलों — विशेषकर मराठवाड़ा, विदर्भ और उत्तर महाराष्ट्र के कुछ हिस्सों — में धान, सोयाबीन, मक्का और कपास सहित कई फ़सलों को सबसे अधिक क्षति हुई है। मवेशी की हानी और घर-बाड़ी के नुकसान की भी रिपोर्टें मिल रही हैं, जिससे ग्रामीण जनजीवन प्रभावित हुआ है। स्थानीय तहसील और कृषि विभाग मिलकर फसलों के पंचनामे (नुकसान का औपचारिक दस्तावेज) तैयार करा रहे हैं ताकि प्रभावित किसानों को राज्य सरकार द्वारा मिलनी वाली सहायता दी जा सके।

फडणवीस ने कहा कि प्रशासन को प्रभावित जिलों में राहत पहुँचाने, जरूरी बचाव-कार्य तेज करने और पंचनामा की प्रक्रिया तत्काल शुरू करने के निर्देश दिए गए हैं। उन्होंने आश्वासन दिया कि प्रभावित किसानों की मदद के लिए सरकार विशेष पैकेजों और अनुग्रहात्मक उपायों पर विचार कर रही है और आवश्यकतानुसार केंद्र से भी मदद मांगी जाएगी।

स्थानीय हालात और फसलों की वास्तविक हानि

कई जगह खेत पानी में डूबे रहने से खरीफ (खरीफ) फसलों का विकास रुक गया या फसल सड़ गई है; खासकर सोयाबीन और धान ज्यादा प्रभावित हुए हैं। कई जिलों में नाली-नालों के उफान और बाढ़ के कारण खेतों तक पहुंच बंद हो गयी है, जिससे कटाई और फसल सुरक्षा के काम भी प्रभावित हुए हैं।

प्रभावित इलाकों के किसानों का कहना है कि वर्ष भर की मेहनत बर्बाद होने की आशंका है और वे गैंद या बीज/उर्वरक-आधार पर तात्कालिक मदद चाहते हैं। कई प्रशासनिक अधिकारियों ने बताया कि पंचनामों के बाद ही नुकसान का मुआवजा तय किया जाएगा।

सरकारी प्रतिक्रिया और बचाव-प्रयास

राज्य सरकार ने आपात बैठकें बुलाई हैं और संबंधित विभागों को राहत-काम, बचाव दलों की तैनाती और प्रभावित परिवारों के लिए अस्थायी आवास/खाद्य सामग्री उपलब्ध कराने के निर्देश दिए हैं। वीटीओ और जिला प्रशासन मिलकर मवेशी को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने तथा स्वास्थ्य सेवाओं की व्यवस्था कर रहे हैं।

कृषि विभाग ने प्रभावित क्षेत्रों की नज़दीकी निगरानी करने और फसल की स्थिति की त्वरित रिपोर्ट तैयार करने के आदेश दिए हैं ताकि मुआवजे और सहायता का दायरा तय किया जा सके। विशेषज्ञों का कहना है कि जल निकासी, रोग-नियंत्रण और बीज/इनपुट मदद तेज़ी से दी जानी चाहिए ताकि अगले मौसम की तैयारी में किसान पिछड़ न जाएँ।

किसानों की प्रतिक्रिया और आशंका
कई किसानों ने मीडिया से कहा कि तात्कालिक नकदी सहायता, अनाज और नए बीज/उर्वरक की आवश्यकता है। छोटे और सीमांत किसान विशेष रूप से कमजोर हैं क्योंकि उनकी खेती का एकमात्र स्रोत फसल ही होती है। स्थानीय किसान संघ और कुछ सामाजिक संस्थाएँ प्रभावित ग्रामों में राहत अभियान चला रही हैं, लेकिन व्यापक मदद के अभाव में संकट और गंभीर होने की संभावना है।

आर्थिक और दीर्घकालिक असर
विशेषज्ञों का अनुमान है कि यदि 12–14 लाख हेक्टेयर जैसा व्यापक क्षेत्र वास्तव में प्रभावित हुआ है तो यह राज्य के कृषि-आधारित समुदायों पर दीर्घकालिक प्रभाव डाल सकता है: आने वाले महीनों में खाद्य पदार्थों की कीमतें बढ़ सकती हैं, और कई किसानों की आय पर बड़ा असर पड़ेगा। इस वजह से सरकार-निति में कृषि-रीहैब, बीमा दावों के त्वरित निपटान और कृषि-इन्फ्रास्ट्रक्चर (जैसे जल निकास और छोटी सिंचाई नहरें) पर निवेश बढ़ाने की ज़रूरत पर चर्चा तेज़ हो सकती है।

राज्य सरकार और केंद्र सरकार के साथ-साथ स्थानीय प्रशासन प्रभावित इलाकों में पंचनामे और राहत-प्रक्रिया तेज करेंगे; प्रभावित किसानों के मुआवजे और बीमा क्लेम की प्रक्रिया को प्राथमिकता दी जाएगी।

मौसम विभाग (IMD) ने कुछ क्षेत्रों के लिए और बारिश का अलर्ट जारी किया है, इसलिए बचाव-कार्य और पेयजल/स्वास्थ्य व्यवस्थाओं पर विशेष ध्यान ज़रूरी है।

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