मुंबई । ईडी सरकार(ED Government)के इशारों पर महापालिका का संचालन(Administration of Municipal Corporation)हो रहा है, और पिछले दो वर्षों में 92 हजार करोड़ से घटकर 84 हजार करोड़ तक आई महापालिका की जमा निधियों पर ईडी सरकार ने फिर से एक बार डाका डाल दिया है। अब ये जमा निधियां 81 हजार करोड़ पर आ गई हैं। चुनावों को ध्यान में रखते हुए विभिन्न परियोजनाओं के लिए निधि को बड़ी चालाकी से हस्तांतरित करने के कारण जमा निधियों में कमी हो रही है। अगर यही स्थिति रही, तो महापालिका का ‘सुरक्षित भविष्य’ खतरे में पड़ने की आशंका पैदा हो गई है।
मुंबई में महापालिका के 2017 में चुने गए नगरसेवकों का कार्यकाल 7 मार्च 2022 को समाप्त होने के बाद से महापालिका का कामकाज राज्य में गद्दारी से बनी शिंदे-भाजपा सरकार के इशारे पर चल रहा है। लेकिन शिंदे सरकार द्वारा निधियों का बेसुमार इस्तेमाल करने के कारण ये जमा निधियां 92 हजार करोड़ से सीधे 84 हजार करोड़ पर आ गईं। खास बात यह है कि पिछले कुछ महीनों में सरकार ने चुनावों को ध्यान में रखते हुए कई बड़ी परियोजनाओं की नींव रखी, जिससे फिर से निधियों पर हाथ डाला गया। इसी कारण से ये जमा निधियां तीन हजार करोड़ कम हो गई हैं। इस बीच, अगर महापालिका का आरक्षित निधि इसी तरह घटता रहा, तो महापालिका आर्थिक संकट में आकर, 150 साल की गौरवशाली परंपरा वाली महापालिका को राज्य सरकार और केंद्र सरकार से पैसे मांगने की नौबत आ सकती है। इसके अलावा, अगर जमा निधियां इसी तरह घटती रहीं, तो एक समय ऐसा भी आ सकता है जब मुंबई के विकास की बड़ी परियोजनाओं, कर्मचारियों के वेतन और अन्य देनदारियों के लिए महापालिका के पास पैसे बचेंगे भी या नहीं, इस पर सवाल उठने लगे हैं।
… महापालिका पर आर्थिक संकट
जमा निधि का 30 से 40 प्रतिशत हिस्सा महापालिका के सेवानिवृत्त कर्मचारियों की पेंशन, पीएफ और ग्रेच्युटी के लिए आरक्षित रखा गया है। अगर इन जमा निधियों का मनमाने तरीके से इस्तेमाल किया गया, तो महापालिका आर्थिक संकट में आ सकती है और कर्मचारियों की देनदारियां चुकाना भी मुश्किल हो सकता है। इसके अलावा, इन जमा निधियों का इस्तेमाल महापालिका की अत्यावश्यक, बड़ी और महत्त्वाकांक्षी परियोजनाओं के लिए योजनाबद्ध है। इनमें कोस्टल रोड, गोरेगांव-मुलुंड लिंक रोड, किफायती आवास और मलजल शोधन परियोजनाओं जैसी बड़ी परियोजनाएं शामिल हैं। लेकिन अगर ये निधियां बेतहाशा खर्च की गईं, तो ये परियोजनाएं भी संकट में पड़ सकती हैं।
शिवसेना के कार्यकाल में जमा निधियों में वृद्धि
20 साल पहले घाटे में चल रही मुंबई महापालिका शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के सत्ता में आने के बाद बड़ी वृद्धि दर्ज करने लगी थी। शिवसेना के 25 साल के शासनकाल में महापालिका लाभ में आ गई और जमा निधियां बढ़कर 92 हजार करोड़ तक पहुंच गई थीं। लेकिन मिंधे सरकार के कार्यकाल में निधियां तेजी से घट रही हैं।