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Fake Documents Minority Status: फर्जी दस्तावेजों से अल्पसंख्यक दर्जा लेने वाले स्कूलों पर सरकार का शिकंजा

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जो इंडिया / मुंबई :

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महाराष्ट्र में कई स्कूलों द्वारा झूठी जानकारी देकर ‘अल्पसंख्यक’ (Minority) दर्जा हासिल करने का चौंकाने वाला मामला विधानसभा में उजागर हुआ है। सरकारी रियायतें और विशेष लाभ पाने के लिए कई स्कूलों ने नियमों की धज्जियां उड़ाकर फर्जी दस्तावेज जमा किए। यह गंभीर मुद्दा कल विधानसभा में प्रश्नोत्तर काल के दौरान भाजपा विधायक प्रशांत बंब ने उठाया। इस पर शिक्षा मंत्री ने तत्काल संज्ञान लेते हुए घोषणा की कि दोषी स्कूलों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी और जांच के लिए विशेष समिति का गठन कर अभियान चलाया जाएगा।

क्या है नियम और कैसे हुआ फर्जीवाड़ा?

शिक्षा विभाग के नियमों के अनुसार किसी भी स्कूल को अल्पसंख्यक दर्जा तभी दिया जाता है, जब उसके कम से कम 50% छात्र अल्पसंख्यक समुदाय से आते हों। अल्पसंख्यक दर्जा मिलने के बाद स्कूलों को सरकारी अनुदान, शिक्षक व कर्मचारी भर्ती में छूट, प्रशासनिक रियायतें, और आरक्षण नीति से भी छूट मिलती है।

लेकिन अमरावती और मुंबई के कई स्कूलों ने इस नियम की अनदेखी करते हुए महज 10–20% अल्पसंख्यक छात्रों के बावजूद फर्जी दस्तावेज बनाकर यह दर्जा हासिल कर लिया। विधायक बंब ने बताया कि इससे न केवल सरकार के खजाने पर आर्थिक बोझ बढ़ा है, बल्कि ओबीसी और ओपन वर्ग के कई योग्य उम्मीदवारों के अवसर भी सीमित हो गए हैं।

सरकार का ऐलान: दोषियों पर होगी कड़ी कार्रवाई

शिक्षा मंत्री ने आश्वासन दिया कि इस गंभीर गड़बड़ी की जांच के लिए जल्द ही एक विशेष समिति गठित की जाएगी। जांच के बाद जिन स्कूलों ने नियमों का उल्लंघन किया है, उनसे रियायतें वापस ली जाएंगी और कानूनी कार्रवाई भी की जाएगी।

भाजपा विधायक की मांग

विधायक प्रशांत बंब ने मांग की कि सरकार तुरंत कार्रवाई करे ताकि ईमानदार और नियमों के तहत काम करने वाले स्कूलों के साथ अन्याय न हो और सरकारी खजाने का दुरुपयोग रोका जा सके।

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