मुंबई। दिव्यांग बच्चों(Children with disabilities)के स्कूलों के शिक्षको को भी विधानसभा चुनाव(assembly elections) के काम में लगाया गया हैं इन शिक्षकों को पूर्णकालिक ‘चुनाव ड्यूटी’ करने के लिए मजबूर किए जाने से विकलांग बच्चों की शिक्षा प्रभावित हुई है। इस पृष्ठभूमि में बांद्रा के ‘सेव द चिल्ड्रन इंडिया’ ने चुनाव अधिकारियों के नोटिस को चुनौती देते हुए उच्च न्यायालय में याचिका दायर की है। याचिका में शिक्षकों को जारी नोटिस रद्द करने का अनुरोध किया गया है।
‘सेव द चिल्ड्रेन इंडिया’ संगठन के स्कूल के शिक्षक नीलेश वालुंज और सुभाष गधारी ने एड. रेखा राजगोपाल के जरिए याचिका दायर की गई है।’सेव द चिल्ड्रेन इंडिया’ एक विशेष स्कूल है जो 3 से 19 वर्ष की आयु वर्ग के विकलांग बच्चों को शिक्षा प्रदान करता है। निःशुल्क और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009 विकलांग बच्चों के लिए निःशुल्क और अनिवार्य शिक्षा का प्रावधान करता है। इस प्रावधान के बावजूद, विकलांग बच्चों के शिक्षकों को पूर्णकालिक ‘चुनाव ड्यूटी’ करने के लिए मजबूर किया गया। चुनाव अधिकारियों ने बिना तारीख बताए नोटिस भेजा है शिक्षकों ने उन नोटिसों का जवाब दिया। चुनाव अधिकारियों ने इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी।इसलिए याचिका में कहा गया है कि शिक्षक कार्रवाई के डर से चुनाव कार्य कर रहे हैं। मुंबई शहर और उपनगरों के जिला कलेक्टरों ने दिव्यांग स्कूलों के शिक्षकों को जन प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 159 के तहत नोटिस जारी कर उन्हें पूर्णकालिक चुनाव ड्यूटी के लिए रिपोर्ट करने का निर्देश दिया है। शिक्षकों को प्रशिक्षण में भाग लेने के साथ ही मतगणना दिन तक चुनाव ड्यूटी में उपस्थित रहने का मौखिक निर्देश दिया गया।
नहीं करने पर कानूनी कार्रवाई
दिव्यांग बच्चों के स्कूल के शिक्षक ‘चुनाव ड्यूटी’ करने को तैयार नहीं थे।उन्हें चेतावनी दी गई कि चुनाव कार्य नहीं करने पर लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 134 के तहत कानूनी कार्रवाई की जायेगी।इसके खिलाफ शिक्षकों ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।