मुंबई के जुहू इलाके में केंद्रीय मंत्री नारायण राणे के बंगले में अनधिकृत निर्माण को गिराने का काम बृहस्पतिवार को शुरू हो गया। उच्चतम न्यायालय ने राणे के बंगले ‘अधीश’ में अनधिकृत निर्माण को गिराने के लिए बृहन्मुंबई मनपा (बीएमसी) को निर्देश देने के मुंबई उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका को सितंबर में खारिज कर दिया था। शीर्ष अदालत ने कहा था कि निर्माण कार्य में तटीय नियमन क्षेत्र (सीआरजेड) एवं तल क्षेत्र सूचकांक (एफएसआई) के नियमों की अनदेखी की गयी। एफएसआई किसी तल का वह अधिकतम स्वीकार्य क्षेत्र होता है जिस पर निर्माण कार्य किया जा सकता है।
राणे के परिवार के स्वामित्व वाली कंपनी कालका रीयल इस्टेट प्राइवेट लिमिटेड ने उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ शीर्ष अदालत में याचिका दायर की थी। बीएमसी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बृहस्पतिवार को कहा कि ‘‘उच्चतम न्यायालय ने राणे को निर्देश दिया है कि उनके बंगले में अवैध निर्माण को दो महीने में गिराया जाए। अगर वह ऐसा नहीं करते हैं तो बीएमसी कार्रवाई करेगा। राणे के बंगले के खिलाफ शिकायत दाखिल करने वाले कार्यकर्ता संतोष धौंडकर ने घटनाक्रम का स्वागत करते हुए बताया कि सीआरजेड नियमों के उल्लंघन की शिकायत अभी लंबित है।