जो इंडिया / मुंबई/पुणे: महाराष्ट्र के 467 धर्मार्थ अस्पतालों (charitable hospitals scam in Maharashtra) ने गरीबों के मुफ्त इलाज के नाम पर हर साल लगभग 13.5 हजार करोड़ रुपये के इंटीग्रेटेड पूल फंड (IPF) का गबन किया है। इन अस्पतालों को सरकार द्वारा दी गई ज़मीन, टैक्स छूट और अन्य रियायतों के बदले यह फंड गरीबों और आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के इलाज में इस्तेमाल होना था। लेकिन एक उच्च स्तरीय जांच में सामने आया है कि अधिकतर अस्पतालों ने न तो IPF अकाउंट खोला और न ही तय संख्या में गरीबों का इलाज किया।
IPF फंड्स जांच में चौंकाने वाले खुलासे:
मुंबई के 74 धर्मार्थ अस्पतालों समेत राज्य के कुल 467 अस्पतालों ने फर्जी मरीजों के नाम पर बिल बनाकर लाखों का घोटाला किया।
कई अस्पतालों ने अपने कर्मचारियों और नेताओं के करीबियों को ‘गरीब मरीज’ बताकर लाभ पहुंचाया।
निर्धारित 10% गरीब और 10% आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिए आरक्षित बेड्स तक आम जरूरतमंद मरीजों की पहुंच नहीं है।
सीएम फडणवीस ने बदले नियम, बनाई कमेटी
डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस के निर्देश पर स्वास्थ्य विभाग ने नई मॉनिटरिंग कमेटी गठित की है जिसमें न्यायाधीश, स्वास्थ्य अधिकारी और प्रधान सचिव शामिल हैं। यह कमेटी अस्पतालों के रजिस्टर, मरीजों की सूची और खर्चों की गहन जांच करेगी।
गरीबों को मिलेगा इंसाफ?
सरकारी रिपोर्ट के मुताबिक हर साल करीब दो लाख गरीब मरीज इन सुविधाओं से लाभान्वित हो सकते हैं, यदि फंड का सही उपयोग हो। नई व्यवस्था से उम्मीद है कि अस्पतालों पर सख्ती बढ़ेगी और जरूरतमंदों को उनका हक मिलेगा।
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