जो इंडिया / मुंबई:
इस नई प्रणाली के तहत, छात्र परीक्षा के दौरान अपने साथ पाठ्यपुस्तकें, नोट्स और संदर्भ ग्रंथ ला सकेंगे और उनका उपयोग करके उत्तर लिख पाएंगे। इसका उद्देश्य छात्रों को केवल रटने के बजाय विषय की गहन समझ विकसित करने के लिए प्रोत्साहित करना है।
CBSE के मुताबिक, इस बदलाव से छात्रों का परीक्षा का तनाव कम होगा और वे अवधारणाओं (कंसेप्ट्स) को बेहतर ढंग से समझकर उनका विश्लेषण और अनुप्रयोग कर सकेंगे। शिक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि इस निर्णय से छात्रों का समग्र (होलिस्टिक) विकास सुनिश्चित होगा और वे विषय की गहराई तक जाकर अध्ययन करने के लिए प्रेरित होंगे।
गौरतलब है कि इस प्रणाली को लागू करने से पहले 2023 में 9वीं से 12वीं कक्षा के लिए एक पायलट प्रोजेक्ट चलाया गया था। इसमें पाया गया कि छात्रों को किताबों और नोट्स का सही ढंग से उपयोग करने में कठिनाई हो रही है, और उनका प्रदर्शन 12% से 47% के बीच रहा। इसके बावजूद, शिक्षकों ने इस पहल को सकारात्मक रूप से अपनाया, जिसके बाद अब इसे औपचारिक रूप से लागू करने का फैसला लिया गया है।
शिक्षाविदों का कहना है कि ओपन बुक परीक्षा पद्धति रटने पर आधारित पुराने पैटर्न को खत्म करेगी और छात्रों में विषय को समझने व व्यावहारिक जीवन में लागू करने की क्षमता विकसित करेगी।