जो इंडिया / मुंबई: महाराष्ट्र सरकार (Maharashtra Government) ने एक अहम और दूरगामी निर्णय लेते हुए राज्य में 903 विकास योजनाओं की प्रशासनिक मंजूरी रद्द कर दी है। यह फैसला मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस (Chief Minister Devendra Fadnavis) की अगुवाई वाली सरकार द्वारा लिया गया है और इसे राज्य के विकास की दिशा में एक निर्णायक मोड़ माना जा रहा है। इन योजनाओं में छोटी सिंचाई परियोजनाएं, भंडारण तालाबों की मरम्मत, कोर सीपेज बांध और अन्य जल संरक्षण परियोजनाएं शामिल थीं, जो पिछले तीन वर्षों से ठप्प पड़ी थीं।
सरकारी दस्तावेजों के अनुसार, इन योजनाओं में भूमि अधिग्रहण की अड़चनें, स्थानीय नागरिकों का विरोध, और कुछ ठेकेदारों का असहयोग मुख्य कारण रहे, जिनकी वजह से इनका कार्यान्वयन संभव नहीं हो सका। इसलिए सरकार ने उन्हें समय देने की बजाय उनकी प्रशासनिक स्वीकृति रद्द करने का निर्णय लिया है, जिससे राजकोष पर अनावश्यक दबाव हटाया जा सके।
सरकार का मानना है कि इस कदम से जहां निधियों का कुशल प्रबंधन संभव होगा, वहीं नई और व्यावहारिक योजनाओं को आगे बढ़ाने का रास्ता भी साफ होगा। यह निर्णय न सिर्फ विकास की दिशा में ठोस पहल है बल्कि इससे शासन की जवाबदेही और कार्यकुशलता भी प्रमाणित होती है।
‘लाड़की बहिन योजना’ बनी चर्चा का केंद्र, क्या यही है योजनाएं रद्द होने का कारण?
इस फैसले के साथ ही ‘लाड़की बहिन योजना’ एक बार फिर चर्चा में आ गई है। इस योजना के तहत राज्य सरकार हर महीने हजारों करोड़ रुपये की राशि बहनों के खातों में जमा कर रही है। कुछ विभागों द्वारा यह आरोप लगाए गए हैं कि उनकी निधियों को इस योजना के लिए डायवर्ट किया जा रहा है, जिससे अन्य योजनाएं प्रभावित हो रही हैं। हालांकि, मुख्यमंत्री फडणवीस ने स्पष्ट कहा है कि “जो बजट प्रक्रिया को नहीं समझते, वही इस तरह के बेबुनियाद आरोप लगाते हैं।”
महिला एवं बाल विकास मंत्री अदिति तटकरे ने दो दिन पहले जानकारी दी थी कि मई माह की राशि बहनों के खातों में जमा होनी शुरू हो गई है, जिससे हजारों लाभार्थियों को राहत मिली है।
जनता की निगाहें अब जिला और तालुका स्तर पर असर पर
अब सभी की नजरें इस बात पर हैं कि इन योजनाओं को रद्द किए जाने का जमीनी स्तर पर क्या असर होता है। क्या इससे नए रोजगार के अवसर मिलेंगे या फिर कुछ क्षेत्रों में विकास थम जाएगा? यह देखने वाली बात होगी कि सरकार अब किन योजनाओं को प्राथमिकता देती है।