जो इंडिया / मुंबई। गुजरात के अहमदाबाद में हुए भीषण विमान हादसे ने एक बार फिर बोइंग विमानों की सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। एयर इंडिया की फ्लाइट एआई 171, जो कि बोइंग 787 ड्रीमलाइनर मॉडल पर आधारित थी, उड़ान भरने के महज 5 मिनट बाद ही दुर्घटनाग्रस्त हो गई। इस विमान में 242 लोग सवार थे, जिनमें 12 क्रू मेंबर्स और 230 यात्री शामिल थे।
हालांकि, यह कोई पहली बार नहीं है जब बोइंग का विमान हादसे का शिकार हुआ हो। सूत्रों के मुताबिक, अब तक दुनिया भर में बोइंग विमानों से जुड़ी 6,000 से अधिक घटनाएं और दुर्घटनाएं दर्ज की जा चुकी हैं, जिनमें से 415 घटनाएं बेहद गंभीर और जानलेवा थीं। इन हादसों में कुल 9000 से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है।
बोइंग 737-800: दुनिया का सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने वाला लेकिन विवादास्पद विमान
वर्तमान में दुनियाभर में सक्रिय यात्री विमानों में से कम से कम 4000 से अधिक बोइंग 737-800 विमान सेवा में हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार, बोइंग विमानों का सबसे अधिक उपयोग एशिया, यूरोप और नॉर्थ अमेरिका जैसे महाद्वीपों में होता है।

बोइंग विमानों की कुछ बड़ी और दुखद घटनाएं
2024, दक्षिण कोरिया:
बोइंग 737-800 मॉडल का विमान हादसे का शिकार हुआ, जिसमें 180 लोगों की मौत हो गई।
जनवरी 2023:
उड़ान के दौरान बोइंग 737 मैक्स विमान के दरवाजे का प्लग उड़ गया, जिससे यात्रियों में दहशत फैल गई।
2018 – लायन एयर फ्लाइट 610:
टेकऑफ के कुछ समय बाद दुर्घटनाग्रस्त, 189 लोगों की मौत।
2019 – इथियोपियन एयरलाइंस फ्लाइट 302:
टेकऑफ के छह मिनट बाद दुर्घटनाग्रस्त, 157 लोगों की मौत।
इन दोनों हादसों के बाद बोइंग 737 मैक्स को पूरी दुनिया में ग्राउंड कर दिया गया और कंपनी को करीब 30 अरब डॉलर का नुकसान झेलना पड़ा।
बोइंग विमानों में गड़बड़ियां क्यों होती हैं?
विशेषज्ञों के अनुसार, बोइंग 737 मैक्स में इस्तेमाल की गई नई प्रणाली (MCAS – Maneuvering Characteristics Augmentation System) के बारे में पायलटों को पूरी जानकारी नहीं दी गई थी। यह प्रणाली मैन्युअल नियंत्रण को कम करने और विमान की ऑटोमैटिक स्थिरता बनाए रखने के लिए लगाई गई थी, लेकिन इसकी कार्यप्रणाली से परिचित न होने के कारण 2018 और 2019 में दो भयावह हादसे हुए, जिनमें 346 लोगों की जान गई।
इसके बाद बोइंग ने इस प्रणाली को अपडेट किया, सुरक्षा प्रोटोकॉल बदले और 737-800 मॉडल को फिर से सेवाओं में शामिल किया। फिर भी, इन विमानों की विश्वसनीयता पर सवाल लगातार बने हुए हैं।